जातिगत बंधन तोड़कर शीर्ष पर पहुंचने वाले वाले 5 दलित उद्यमियों जिन्होंने आर्थिक गतिशीलता और सामाजिक न्याय की दोहरी लड़ाई लड़ी और शीर्ष पर पहुँचे.
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महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के अत्यंत गरीब दलित परिवार में जन्मे भगवान गवई की कहानी किसी फिल्मी फसाने की तरह है .100-200 की दिहाड़ी मजदूरी करने वाले भगवान गवई आज "सौरभ एनर्जी" के मालिक हैं
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मुंबई में जन्मे कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर राजभर अपने क्रिएटिव एंटरप्राइज "दि चमार स्टूडियो" के माध्यम से दलितों के सामाजिक आंदोलन को फैशन के क्षेत्र में भी आगे बढ़ा रहे हैं.
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महाराष्ट्र के विदर्भ में जन्मीं कल्पना सरोज की शादी मात्र 12 साल की उम्र में हो गई. वह आज कामिनी ट्यूब्स की सीईओ हैं.
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दलित परिवार में जन्मे राजा नायक 17 साल की उम्र में घर से भागकर मुंबई आए. यहां उन्होंने कपड़े बेचे, कोल्हापुरी चप्पलें बेचीं और आज उनका सालाना टर्नओवर 60 करोड़ का है .
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देश के प्रथम दलित अरबपति माने जाने वाले राजेश सराईया " स्टील मोंट ट्रेडिंग लिमिटेड" के सीईओ हैं .