बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण आदर्शों में से एक "दसपाप" या "दस अधार्मिक कार्यों" की प्रमाणिक मार्गदर्शिका है.
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जिससे आप अपने मनोबल को शुद्ध करने और आध्यात्मिक प्रगति की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. चलिए बौद्ध धर्म के दसपाप के बारे में गहराई से समझते हैं.
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असत्य बोलना (प्रत्याख्यान): इसका संबंध सिर्फ झूठ बोलने से नहीं है. इसमें किसी भी प्रकार की भ्रान्तिपूर्ण बात, सत्य को मोड़ना या दूसरों को जानबूझकर गुमराह करने की कोशिश भी शामिल है.
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चोरी करना (स्तेय): शारीरिक चोरी से परे, इसमें दूसरों की संपत्ति को अनैतिक या न्यायिक रूप से प्राप्त करना शामिल है, चाहे वह भौतिक धन हो या बौद्धिक संपत्ति.
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अशुद्ध बोलना (मृषावाद): इसका मतलब है किसी भी प्रकार की गलत जानकारी, चाहे उसका उद्देश्य कुछ भी हो, जिससे दूसरों को भटकाने या भ्रमित करने की संभावना हो, यह पाप की श्रेणी में ही आता है.
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संस्कार (मिताचार): आपके जीवन से जुड़ी हर एक चीज इसमें शामिल है..जैसे आपके रहन सहन, चाल ढाल से भी अगर किसी को परेशानी हो रही है तो यह भी पाप की श्रेणी में ही आता है.
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कठोर वाक्य (पारुष्य): यह सिर्फ अशुद्ध शब्दों का प्रयोग नहीं है.यह आपत्तिजनक या अवज्ञापूर्ण शब्दों का उपयोग है, जो दूसरों को अवमानित करते हैं या उन्हें भावनात्मक रूप से हानि पहुंचाते हैं.