बहुजन नहीं होते तो यह देश संपूर्ण नहीं होता. बहुजन नहीं होते तो अनेकता में एकता वाली बातें मिथ्या होती…बहुजन नहीं होते तो देश की संस्कृति नहीं होती और बहुजन नहीं होते तो देश एकजुट नहीं होता. लेकिन छुआछुत के जहर के बीच बहुजनों ने देश को जोड़े रखा, संस्कृति को बचाए रखा और अपनी लड़ाई लड़ते रहे. ज्योतिबा फुले से लेकर बाबा साहेब अंबेडकर तक, हर किसी ने बहुजनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया. बाबा साहेब ने बहुजनों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए. शिक्षा पर बाबा साहेब के विचार काफी अलग हैं. उन्होंने स्पष्ट कहा था कि शिक्षा ही बहुजनों को समाज में उनकी पहचान दिला सकती है. धीरे धीरे चीजें बदली…हालात बदले और समय ऐसा भी आया कि देश के अहम पदों पर हमें बहुजन समाज के लोग देखने को मिले. हाल ही में हमने देश के 5 बहुजन IAS ऑफिसर्स के बारे में बताया था, उसका लिंक ड्रिस्क्रिपशन में है. आज की वीडियो में हम आपको देश के 5 बहुजन DGP के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपनी कार्य कुशलता से इतिहास रचा है…
कौन है वो 5 DGP
दरअसल, IPS ऑफिसर्स के कंधे पर पूरे जिले की कमान होती है, जबकि DGP के कंधे पर पूरे राज्य की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी होती है. हमारी इस लिस्ट के पहले बहुजन DGP ऑफिसर का नाम है कंचन चौधरी भट्टाचार्य, ये एक महिला हैं जिन्होंने अपने दम पर अपनी मंजिलें तय की है. आपको बता दें कि किरण बेदी को देश का पहला आईपीएस अधिकारी बताया जाता है तो वहीं कंचन चौधरी भट्टाचार्य देश की दूसरी और दलित समाज की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रहीं. वह 1973 बैच की महिला आईपीएस अफसर है और वर्ष 2004 में उत्तराखंड की पुलिस महानिदेशक बनीं थी. यह बहुजन अधिकारी उस समय चर्चा में आईं जब उन्होंने एकसाथ 13 खूंखार डाकुओं को घुटने टेकने पर मजबूर किया था. 1997 में कंचन को उनके सराहनीय कार्यों के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था.
हमारे इस लिस्ट के दूसरे बहुजन DGP हैं अनिल कांत. वह 1988 बैच के IPS अधिकारी हैं. दिल्ली के रहने वाले अनिल कांत ने अपने करियर की शुरुआत केरल के वायनाड़ जिले में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में की थी. उन्होंने राज्य में सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, जेल और सुधार सेवाओं तथा अग्निशमन दल के प्रमुख के रुप में भी काम किया है. इसके साथ ही वह केरल के पहले दलित पुलिस महानिदेशक भी बनें. इस जाबांज अधिकारी ने अपने करियर में कई आतंकी घटनाओं को विफल किया और कई आतंकियों को मार भी गिराया, जिसके लिए उन्हें कई पदक मिले. साथ ही उनके बेहतर काम के लिए उन्हें राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया गया था.
इस लिस्ट के अगले DGP हैं बृजलाल. ये कोली समुदाय से हैं और 1977 बैच के IPS अधिकारी हैं. उत्तर प्रदेश में जब मायावती की सरकार थी, तब उन्हें यूपी का पुलिस महानिदेशक बनाया गया था. बृजलाल ही थे जिनके देखरेख में यूपी में कानून व्यवस्था सुदृढ़ हुई थी. मायावती के कार्यकाल को उनके सख्त कानून व्यवस्था के लिए जाना जाता है, इन सब के पीछे बृजलाल का बहुत बड़ा योगदान था. उनके कार्यकाल में कई भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों पर कानून ने शिकंजा कसा था. इनके इसी सराहनीय कार्य के लिए उन्हें कई बार मेडल मिले और उन्हें सम्मानित किया गया.
हमारी इस सूची के चौथे बहुजन DGP अधिकारी हैं गौतम सवांग. तेलंगाना के आंध्र प्रदेश से अलग होने से पहले गौतम ने माओवाद प्रभावित वारंगल जिले के पुलिस अधीक्षक और पुलिस उप महानिरीक्षक यानी डीआईजी समेत कई बड़े पदों पर काम किया था. 2019 में उन्हें आंध्र प्रदेश का डीजीपी बनाया गया था लेकिन 2022 में उनका तबादला हो गया. अभी के समय में तवांग आंध्र प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष हैं. उन्हें तेजी से निर्णय लेने के लिए जाना जाता है और इस वजह से आंध्र प्रदेश की जनता उन्हें आज तक उनके बेहतरीन कामों के लिए याद करती है.
इस लिस्ट के पांचवें और आखिरी बहुजन DGP हैं रवींद्रनाथ. ये 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. आर्थिक रूप से कमजोर रवींद्रनाथ ने जाति के कारण अपने साथ हुए भेदभाव को मन मस्तिष्क में भरकर आईपीएस बनने की ठान ली थी और आईपीएस बने थे. उन्हें कर्नाटक का डीजीपी बनाया गया था. रवींद्रनाथ को उनके काम और कुशल नेतृत्व के लिए जाना जाता है और इसी काम के लिए उन्हें कई सारे पदक से भी नवाजा गया है.