Baba Saheb love blue color: बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का नीले रंग से गहरा संबंध है, जो भारतीय समाज में उनके योगदान और उनके विचारों का प्रतीक बन चुका है। नीला रंग विशेष रूप से भारतीय संविधान और आंबेडकरवाद के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। लेकिन क्या आप जानते हैं बाबा साहेब को नीला रंग क्यों पसंद था। अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते है आखिर दलितों का कैसे हो गया नीला रंग।
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दलितों का नीला रंग: एक गहरा इतिहास
दलितों के लिए नीले रंग का महत्व एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा हुआ है। यह सिर्फ एक रंग नहीं, बल्कि एक आंदोलन, एक विद्रोह और एक समुदाय की आकांक्षाओं का प्रतीक है। कहा जाता है कि उन्हें यह रंग इतना पसंद था कि उन्हें ज्यादातर सूट नीले रंग के ही थे, अक्सर वे इसी रंग के सूट में देखे जाते थे. रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी व दलित कार्यकर्ता एसआर दारापुरी बताते हैं कि 1942 में जब बाबा साहेब ने शेड्यूल कास्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया पार्टी की स्थापना की, तो उस पार्टी के झंडे का रंग नीला ही था. बाद में 1956 में जब पुरानी पार्टी को खत्म कर रिपब्लिकन पार्टी का गठन किया गया तो इसमें भी नीले रंग के झंडे का इस्तेमाल हुआ. बाद में यही रंग मायावती की बसपा पार्टी ने भी अपनाया.
नीला रंग दलितों का नीला रंग दलित समुदाय के संघर्ष का भी प्रतीक बन गया है। अंबेडकर ने दलितों के अधिकारों के लिए जीवनभर संघर्ष किया और उन्हें समाज में समान अधिकार दिलवाने के लिए प्रेरित किया। नीला रंग अब दलितों की पहचान और उनके सम्मान की एक निशानी बन चुका है। अंबेडकर ने 1956 में बौद्ध धर्म अपनाया था, और इसके बाद उनके अनुयायी नीले रंग के झंडे को लेकर सार्वजनिक समारोहों और आंदोलनों में हिस्सा लेने लगे। यह नीला झंडा बौद्ध धर्म और अंबेडकर के विचारों की पहचान बन गया है, जो समाज में समानता और स्वतंत्रता की दिशा में उनके संघर्ष को दर्शाता है। इस प्रकार, नीला रंग बाबा साहेब अंबेडकर के जीवन और उनके विचारों का गहरा प्रतीक बन चुका था, जो भारतीय समाज में परिवर्तन और समानता की ओर अग्रसर होने की दिशा में उनका योगदान दर्शाता है।
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बाबा साहेब अंबेडकर और नीला रंग
- पार्टी का झंडा: बाबा साहेब अंबेडकर ने अपनी पार्टी ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ का झंडा नीला रखा था। यह रंग उन्होंने महाराष्ट्र के सबसे बड़े दलित वर्ग महार के झंडे से लिया था।
- व्यक्तिगत पसंद: बाबा साहेब अक्सर नीले रंग के सूट पहनते थे। यह उनके व्यक्तित्व का एक हिस्सा बन गया था।
- दलित चेतना का प्रतीक: बाबा साहेब ने नीले रंग को दलित चेतना का प्रतीक बनाया और दलित समाज ने इसे अपनी पहचान के रूप में अपना लिया।
नीले रंग का महत्व
- समानता और स्वतंत्रता: नीला रंग आकाश का रंग है, जो स्वतंत्रता, समानता और विशालता का प्रतीक है। बाबा साहेब के लिए यह रंग दलितों की समानता और स्वतंत्रता का प्रतीक था।
- विद्रोह का प्रतीक: नीले रंग को दलित आंदोलन के विद्रोह का प्रतीक भी माना जाता है। यह रंग दलितों द्वारा सामाजिक और राजनीतिक उत्पीड़न के खिलाफ किए गए संघर्ष का प्रतिनिधित्व करता है।
- एकता का प्रतीक: दलित समाज के विभिन्न वर्गों के लिए नीला रंग एकता का प्रतीक बन गया है। यह रंग दलितों को एकजुट करने और उनके हितों के लिए लड़ने की प्रेरणा देता है।