Water crisis in darha dalit basti: : हाल ही में झारखंड के इचाक से एक विवादित मामला सामने आया हैं. दरअसल, इचाक प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है दरहा पंचायत की दलित बस्ती के लोगों का कहना हैं कि यहाँ 118 परिवार महज दो चापानल के भरोसे हैं। जो इनकी प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में यहाँ के लोगों काफी मुश्किलो का समाना करना पड़ा रहा हैं । तो चलिए जानते हैं आखिर क्या हैं पूरा मामला…
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पानी के लिए परेशान 118 परिवार
नगर पालिका प्रशासन की उदासीनता के चलते दरहा दलित टोले के लोग गंदे पानी पीने को विवश है। दलित बस्ती की हालत सबसे दयनीय है। यहाँ के नागरिक काफी समय से पीने के पानी जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। दरहा पंचायत की दलित बस्ती। इस टोले में 118 परिवार निवास करते है। जिनकी पेशा मजदूरी है। यहां के अधिकतर युवा दूसरे प्रदेशों में मिट्टी मजदूरी कर गुजर बसर करते है। यहां के 118 परिवार महज दो चापानल के भरोसे हैं। जो इनकी प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में दरहा दलित टोले के लोग गंदे पानी पीने को विवश है। टोले में जल नल योजना के तहत जल मीनार लगायी गयी है। स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के मकसद से हर घर नल लगाया गया है। जो आजकल सिर्फ हाथी दांत साबित हो रहा है। जल मीनार से मालिन लोगों को पीने का एक बूंद पानी नसीब नहीं हुआ है। लोग दूर दराज के कुआं और नाले से पानी लाकर अपने प्यास बुझाने को विवश है।
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मालिन टोला की महिला शीला देवी, फुलकी देवी, विंदवा देवी, रंजू देवी, चमेली देवी, दुलरी देवी, मुनियां देवी और मुस्कान कुमारी ने बताया कि मुखिया समेत अन्य पंचायत प्रतिनिधियों को हम मलिन टोले के गरीबों के समस्याओं से कोई मतलब नहीं है। जल मीनार और घरों में लगा नल की स्थिति को ठीक करने की गुहार पंचायत प्रतिनिधियों से कई बार लगाकर थक चुके है बाबजूद इसके सुधार के नाम पर वही ढाक के तीन पात। लोगों ने कहा कि यही स्थिति रही तो जनवरी फरवरी में ही मालिन टोल के लोगों के बीच पानी के लिए हाहाकार मचाना कोई नई बात नहीं होगा उन्होंने कहा कि अभी हालत ऐसी है कि आधा आधा घंटे इंतजार के बाद लोग एक बाल्टी पानी चापानला से ले पाते हैं जो क्षेत्र के सांसद विधायक जिला परिषद सदस्य और पंचायत प्रतिनिधियों के लिए चुनौती से काम नहीं है।