BNS Section 26 in Hindi: बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) एक व्यापक कानूनी दस्तावेज है और इसकी विभिन्न धाराएं अलग-अलग अपराधों और उनके दंडों को परिभाषित करती हैं। लेकिन क्या आप जानते है। बीएनएस (BNS) की धारा 26 क्या कहती है, अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं..बीएनएस (BNS) की धारा 26, अगर आप किसी व्यक्ति को उसकी सहमति से कोई ऐसा काम करते हैं जिससे उसे नुकसान पहुंच सकता है, लेकिन आपका उद्देश्य उसे नुकसान पहुंचाना नहीं है और आप ऐसा उस व्यक्ति के फायदे के लिए करते हैं, तो आप बीएनएस की धारा 26 के तहत दोषी नहीं ठहराए जा सकते हैं।
धारा 25 क्या कहती है?
BNS की धारा 26 भारतीय न्याय संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, वही धारा 26 यह कहती है कि जैसे कोई भी चीज़, जिसका उद्देश्य मृत्यु कारित करना नहीं है, किसी भी नुकसान के कारण अपराध है जो वह कारित कर सकती है, या कर्ता द्वारा कारित करने का इरादा रखती है, या कर्ता को पता होना चाहिए कि वह किसी व्यक्ति को कारित करने की संभावना रखती है। यह किसके लाभ के लिए सद्भावना से किया गया है, और जिसने उस हानि को सहने के लिए, या उस हानि का जोखिम उठाने के लिए, चाहे अभिव्यक्त या परोक्ष, सहमति दी है। जैसे…
- किए गए कार्य का मुख्य उद्देश्य किसी की जान लेना नहीं होता है।
- सद्भावना: कार्य किसी अन्य व्यक्ति के लाभ के लिए किया जाता है।
- सहमति: जिस व्यक्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है, उसने उस नुकसान को सहने के लिए सहमति दी होती है।
धारा 26 का उद्देश्य – BNS Section 25 in Hindi
- इस धारा का सबसे आम उदाहरण चिकित्सा उपचार है। जब कोई डॉक्टर किसी रोगी का इलाज करता है तो उसे पता होता है कि इलाज के दौरान कुछ जोखिम हो सकते हैं। लेकिन रोगी की सहमति से किया गया यह कार्य बीएनएस की धारा 26 के तहत अपराध नहीं माना जाता है।
- खेलों में भी इस धारा का उपयोग किया जाता है। खेल के दौरान खिलाड़ियों को चोट लग सकती है, लेकिन खेल की प्रकृति को देखते हुए खिलाड़ी इस जोखिम को स्वीकार करते हैं।
- इसके अलावा, सर्जरी, दंत चिकित्सा, और अन्य चिकित्सा प्रक्रियाएं भी इस धारा के दायरे में आती हैं।
क्यों है यह धारा महत्वपूर्ण?
जैसे की आपने उपर इस लेख में पढ़ा हो कि धारा 26 के तहत गलती से कि हुई गलती व्यकित दोषी नहीं ठहराए जा सकते हैं, जैसे कि यह धारा डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा पेशेवरों को सुरक्षा प्रदान करती है। वही यह धारा खेलों को बढ़ावा देने में मदद करती है क्योंकि खिलाड़ी जानते हैं कि अगर वे खेल के दौरान चोटिल हो जाते हैं तो उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाएगा। इसके अलवा यह धारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देती है क्योंकि लोग अपनी पसंद से जोखिम ले सकते हैं।