BNS Section 27 in Hindi: बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) एक व्यापक कानूनी दस्तावेज है और इसकी विभिन्न धाराएं अलग-अलग अपराधों और उनके दंडों को परिभाषित करती हैं। लेकिन क्या आप जानते है। बीएनएस (BNS) की धारा 27 क्या कहती है, अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं..बीएनएस (BNS) की धारा 27, अगर कोई व्यक्ति किसी मानसिक रूप से बीमार बच्चे या व्यक्ति के हित में कोई काम करता है, तो उसे दंडित नहीं किया जाएगा, भले ही उस काम से किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचा हो।
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धारा 27 क्या कहती है?
BNS की धारा 27 भारतीय न्याय संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, वही धारा 27 यह कहती है कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 27 के मुताबिक, बच्चों या विकृत चित्त वाले लोगों के हित में सद्भावना से किए गए कामों को सुरक्षा दी जाती है। हालांकि, जान-बूझकर किसी की मौत कर देने या मौत का प्रयास करने वाले कामों को इस धारा के दायरे में नहीं रखा जाता।
वही BNS की धारा 27 मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों की सुरक्षा करती हैं जिसका उदेश्य ऐसे व्यक्तियों के देखभाल करने वालों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना जो मानसिक रूप से बीमार हैं। इसके अलवा समाज में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना आति अवश्यक भी है।
धारा 27 का उद्देश्य – BNS Section 27 in Hindi
- यह धारा, मृत्यु या गंभीर चोट की ओर ले जाने वाली कार्रवाइयों के लिए अपवादों को बाहर करती है.
- यह धारा, माता-पिता के सद्भावनापूर्ण कार्यों को मान्यता देती है, भले ही उनमें जोखिम हो.
- इस धारा के तहत, बालक या विकृत चित्त वाले व्यक्ति के लाभ के लिए संरक्षक या उसकी सहमति से सद्भावनापूर्ण काम किया जा सकता है.
- जान-बूझकर मौत का कारण बनने वाले या मौत का कारण बनने का प्रयास करने वाले कामों को इस धारा के दायरे में नहीं रखा जाता.
क्यों है यह धारा महत्वपूर्ण?
जैसे की आपने उपर इस लेख में पढ़ा हो कि धारा 27 के तहत केवल उन मामलों पर लागू होती है जहां कोई कार्य सद्भावनापूर्वक किया जाता है। इसका मतलब है कि कार्य करने वाले व्यक्ति का इरादा केवल उस व्यक्ति की भलाई करना होता है जिसके लिए वह कार्य कर रहा है। इसके अलवा अगर कोई कार्य किसी बच्चे के अभिभावक द्वारा या उसकी सहमति से किया जाता है, तो भी धारा 27 लागू हो सकती है।