BNS Section 28 in Hindi: बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) एक व्यापक कानूनी दस्तावेज है और इसकी विभिन्न धाराएं अलग-अलग अपराधों और उनके दंडों को परिभाषित करती हैं। लेकिन क्या आप जानते है। बीएनएस (BNS) की धारा 28 क्या कहती है, अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं..बीएनएस (BNS) की धारा 28 के तहत किसी व्यक्ति से डरा-धमकाकर या भ्रम में डालकर ली गई सहमति अवैध है. यह धारा भय या गलत धारणा के तहत दी गई सहमति से जुड़ी है.
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धारा 28 क्या कहती है?
BNS की धारा 28 भारतीय न्याय संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, वही धारा 28 यह कहती है कि इस धारा के तहत, इन स्थितियों में दी गई सहमति अवैध मानी जाएगी जो कुछ इस प्रकार से हैं…जैसे कि जब किसी व्यक्ति से डरा-धमकाकर सहमति ली जाए। वही अगर किसी व्यक्ति को नशीली दवा पिलाकर सहमति ली जाएगी तो वो भी अवेध ही मानी जाएगी। दूसरी और जब कोई व्यक्ति किसी महिला को धमकी देकर उसकी सहमति लेता है तो वो भी अवैध ही मानी जाति हैं, देखा जाये तो जब कोई कंपाउंडर खुद को डॉक्टर बताकर मरीज़ की सहमति लेता है तो वो भी सही नहीं मानी जाती है।
- जब कोई व्यक्ति किसी को जबरदस्ती शराब पिलाकर उसकी सहमति लेता है.
- जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति से सहमति लेता है जो मानसिक विकृति या नशे में है.
- जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति से सहमति लेता है जो 12 साल से कम उम्र का है.
जानें धारा BNS 28 के उद्देश्य – BNS Section 28 in Hindi
धारा BNS 28 के उद्देश्य कुछ इस तरह से है कि अगर किसी भी व्यक्ति से कार्य को लेकर जोर जबरदस्ती से सहमति ली जाएगी तो अमान्य मानी जाएग, जिसके कुछ उदाहरण भी है…
- यदि कोई व्यक्ति इस विश्वास के साथ किसी चिकित्सा प्रक्रिया के लिए सहमति देता है कि यह किसी ऐसी स्थिति को ठीक कर देगा, जिसका वास्तव में वह उपचार नहीं करता है, तथा चिकित्सक को इस गलत धारणा के बारे में पता है, तो सहमति वैध नहीं है।
- यदि कोई व्यक्ति शराब के नशे में किसी अनुबंध पर सहमत होता है, लेकिन उसकी शर्तों को पूरी तरह से नहीं समझता है, तो नशे के कारण उसकी सहमति अमान्य है।