Madhya Pradesh News: हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh government) को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव (Madhya Pradesh Chief Minister Mohan Yadav) ने राज्य के तीन गांवों के नाम बदल दिए हैं। जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को इस संबंध में एक पत्र लिखा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कुछ क्षेत्रों में नामकरण को बढ़ावा दिया जाता है और समाज में भेदभाव की भावना पैदा होती है। तो आपको इस लेख में पूरे मामले की जानकारी के बारें बताते है।
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जानें क्या है पूरा मामला ?
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने राज्य के कुछ जाति सूचक गाँव के नाम बदलने मांग की हैं। कांग्रेस पार्टी नेता ने इस संबंध में राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कुछ क्षेत्रों के नाम पर जातिवाद को बढ़ावा देते हैं और समाज में भेदभाव की भावना पैदा करते हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने प्रशासन से इन समुदायों को हटाने की अपील की है, ताकि समाज में शांति और सद्भाव बना रहे। इसी तरह कांग्रेस ने भी बीजेपी के नाम की जगह जाति कार्ड का खेल खेला है। पार्टी कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता ने सीएम को पत्र लिखकर कहा, आदर्श आपकी कलम जाति सूचक के नाम पर बसे गांव के जंगल पर भी रुकनी चाहिए।

कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता ने क्या कहा
जैसे पिछले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश (MP) में गांवों, शहरों, स्टेशनों और सड़कों के नाम बदले जा रहे हैं, अब उज्जैन में तीन गांवों के नाम बदलने की घोषणा के बाद इसे लेकर राजनीतिक माहौल भी काफी तेज हो गया है, कई विपक्षी दलों का कहना है कि यह मध्य प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश सरकार की तरह काम कर रही है, वहीं कांग्रेस पार्टी के नेता भूपेंद्र गुप्ता भी अपनी बात कहने से पीछे नहीं रहे, यहाँ तक कि उन्होंने मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर गांव का नाम बदलने की मांग की है।
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कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार हर कुछ दिनों में गांवों, शहरों और जगहों के नाम बदल देती है। ऐसे में जिन जगहों के नाम जाति के आधार पर हैं, उन्हें भी बदलने की जरूरत है क्योंकि इससे भेदभाव और छुआछूत को बढ़ावा मिलता है। सरकार को ऐसी जगहों के नाम बदलने चाहिए और इन इलाकों का नाम संतों और महापुरुषों के नाम पर रखना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा पिछले 20 सालों से शहरों और कस्बों के नाम बदल रही है और इसका प्रचार भी किया जा रहा है, लेकिन आदरणीय महोदय, आपकी कलम उन गांवों के नामों पर रुकनी चाहिए जिनके नाम जाति आधारित शब्दों पर रखे गए हैं।