BNS Section 43 in Hindi: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की ब, बीएनएस धारा 43 कहती है कि अगर आपको लगता है कि आपकी संपत्ति खतरे में है तो आप उसकी रक्षा कर सकते हैं। अपनी संपत्ति की रक्षा करने का यह अधिकार तब शुरू होता है जब आपको लगता है कि कोई वास्तविक खतरा है, और यह तब तक जारी रहता है जब तक खतरा बना रहता है।
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धारा 43 क्या कहती है? BNS Section 43 in Hindi
बीएनएस यानी भारतीय न्याय संहिता की धारा 43 संपत्ति की निजी रक्षा के अधिकार से संबंधित है। यह धारा बताती है कि किन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए बल प्रयोग कर सकता है।
खास बातें:
- संपत्ति के खतरे की स्थिति: जब किसी व्यक्ति की संपत्ति को चोरी, डकैती, शरारत या किसी अन्य अपराध के माध्यम से खतरा होता है, तो वह व्यक्ति अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए उचित बल प्रयोग कर सकता है।
- बल प्रयोग की सीमा: हालांकि, यह बल प्रयोग उचित होना चाहिए और केवल संपत्ति की रक्षा के लिए आवश्यक हो। इसका मतलब है कि बल प्रयोग की मात्रा अपराध की गंभीरता के अनुपात में होनी चाहिए।
- बल प्रयोग की अवधि: संपत्ति की रक्षा के लिए बल प्रयोग तब तक जारी रह सकता है जब तक कि अपराधी संपत्ति लेकर भाग न जाए या पुलिस की मदद न मिल जाए।
उदाहरण:
मान लीजिए, कोई व्यक्ति अपने घर में है और एक चोर उसका घर तोड़कर अंदर घुस जाता है। घर का मालिक चोर को पकड़ने के लिए लाठी से मारता है। यह स्थिति धारा 43 के अंतर्गत आती है, क्योंकि घर का मालिक अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए उचित बल प्रयोग कर रहा है।
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धारा 43 का महत्व और उद्देश्य
बीएनएस की धारा 43 चोरी के मामले में, तब तक रक्षा का अधिकार बना रहता है, जब तक अपराधी संपत्ति लेकर भाग न जाए। वही डकैती के मामले में, तब तक रक्षा का अधिकार बना रहता है, जब तक अपराधी किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाए या पहुंचाने की कोशिश न करे। इसका अलवा आपराधिक अतिचार या शरारत के मामले में, तब तक रक्षा का अधिकार बना रहता है, जब तक अपराधी आपराधिक अतिचार या शरारत करता रहे.