Patna High Court News: हाल ही में पटना उच्च न्यायालय ने नवादा अग्निकांड में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है, जो दलितों की बस्तियों को जलाने से संबंधित है. इस आदेश के तहत, अदालत ने प्राथमिक अभियुक्त नंदू पासवान समेत अन्य अभियुक्तों की नियमित जमानत हेतु याचिकाओं को रद्द कर दिया है. यह फैसला न्यायमूर्ति आर पी मिश्रा की एकल पीठ ने सुनाया. तो चलिए आपको इस लेख में पुरे मामले के बारें में बताते है.
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नवादा अग्निकांड मामला
दरअसल, मांझी और रविदास समुदाय के 60 परिवार 2015 से नदी किनारे अपने घर में रह रहे थे. इस जमीन पर नंदू पासवान, आशीष यादव और जमुना चौहान अपना दावा ठोक रहे थे. जिसके बाद नवादा में दलितों की बस्ती में आग लगा दी गई, जिस पर काफी बवाल हुआ. हाईकोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने बताया कि घटना के बाद तुरंत कार्रवाई की गई और 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इसके अलावा पीड़ितों के पुनर्वास, भोजन, पानी और अन्य राहत सामग्री की भी व्यवस्था की गई.
हालांकि इस घटना के पीछे की वजह 29 मई 2024 को जिला न्यायालय द्वारा पारित आदेश के बाद जमीन के मालिकाना हक को लेकर दो पक्षों के बीच पैदा हुई उलझन थी. इस मामले में नंदू पासवान को मास्टरमाइंड बताया गया था. पीड़ितों का आरोप है कि नंदू पासवान के इशारे पर ही उनके घरों में आग लगाई गई.
राज्य सरकार का हस्तक्षेप
इस घटना ने राज्य की राजनीति में भी गर्मी ला दी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डीजीपी को तलब कर नवादा अग्निकांड पर अपडेट लिया था और मौके पर शांति व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए थे. कई दिनों तक पुलिस कैंप करती रही और शांति व्यवस्था कायम होने के बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली.
इस प्रकार, पटना उच्च न्यायालय का यह आदेश नवादा अग्निकांड में दलितों की बस्तियों को जलाने के मामले में एक महत्वपूर्ण कदम है. बता दें, अपीलकर्ताओं का पक्ष वरीय अधिवक्ता एनके अग्रवाल और अधिवक्ता दुर्गेश नंदन ने रखा राज्य सरकार का पक्ष विशेष लोक अभियोजक सदानंद पासवान ने रखा.