Caste discrimination: हाल ही में एक नया मामला सामने आया है। जहाँ एक दलित व्यक्ति द्वारा जातिगत भेदभाव का आरोप लगते हुए एफआईआर दर्ज करवाई है कि उन्हें घर खरीदने की अनुमति नहीं दी गई और बाद में उन्हें दोबारा पंजीकरण कराना पड़ा। तो चलिए आपको इस लेख में इस मामले एक बारे में बताते हैं।
जातिगत भेदभाव का आरोप – Caste discrimination
पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर
दरअसल, बुधवार को एलिसब्रिज पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर में सोसायटी के सचिव, एक निवासी और संपत्ति के मालिक को आरोपी बनाया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि वाघेरा अपने ब्रोकर दोस्त महेश देसाई के साथ अपार्टमेंट की पहली मंजिल पर एक फ्लैट देखने गए थे। जिसके बाद 60 लाख रुपये में फ्लैट का सौदा भी किया था और वाघेरा ने मकान मालिक को 2 लाख रुपये का चेक भी दिया था।
इसके बाद रजिस्टरी की प्रक्रिया शुरू हो गई थी और 6 दिसंबर, 2024 तक उन्हें डिप्टी कलेक्टर के कार्यालय से बिक्री की अनुमति भी मिल गई थी, जो कि अशांत क्षेत्र अधिनियम के अधिकार क्षेत्र में आने के कारण आवश्यक थी। वही एफआईआर में यह भी कहा गया है कि वाघेरा ने बिक्री के दस्तावेज तैयार करवाए थे, लेकिन जब इस साल 21 जनवरी को दोनों पक्षों की मुलाकात हुई तो विक्रेता ने उसमें कुछ बदलाव करने को कहा।
26 जनवरी को मकान मालिक ने वाघेरा से कहा कि सोसायटी के अध्यक्ष और सचिव उससे बात करना चाहते हैं। वाघेरा अपनी पत्नी गीता के साथ उनसे मिलने सोसायटी गए, जहां मालिक, उनकी पत्नी, सचिव और एक निवासी मौजूद थे। एफआईआर के अनुसार सोसायटी के सचिव ने वाघेरा से कहा, “हमें पहले से ही एक दलित को घर देने का पछतावा हो रहा है। हम दूसरे दलित को घर नहीं देना चाहते इसलिए हम आपको अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं देंगे।” इसमें कहा गया है कि बाद में मालिक ने भी अपना मन बदल लिया।