Ahmedabad: घर खरीदने की अनुमति नहीं’, दलित व्यक्ति ने जातिगत भेदभाव का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई

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Caste discrimination: हाल ही में एक नया मामला सामने आया है। जहाँ एक दलित व्यक्ति द्वारा जातिगत भेदभाव का आरोप लगते हुए एफआईआर दर्ज करवाई है कि उन्हें घर खरीदने की अनुमति नहीं दी गई और बाद में उन्हें दोबारा पंजीकरण कराना पड़ा। तो चलिए आपको इस लेख में इस मामले एक बारे में बताते हैं।

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जातिगत भेदभाव का आरोपCaste discrimination

जातिगत भेदभाव एक सामाजिक और सांस्कृतिक समस्या है, जो मुख्य रूप से भारतीय समाज में देखी जाती है। यह तब होता है जब किसी व्यक्ति को उसकी जाति, धर्म, या वर्ग के आधार पर असमान व्यवहार, अवसरों की कमी या अपमान का सामना करना पड़ता है। वही अब एक ऐसा ही एक मामला अहमदाबाद से सामने आया है। जहाँ दलित व्यक्ति ने जातिगत भेदभाव का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है ।
अहमदाबाद में एक दलित व्यक्ति ने दावा किया है कि उसे घर खरीदने की अनुमति नहीं दी गई और अहमदाबाद के एलिसब्रिज इलाके में गंगोत्री अपार्टमेंट के लोगों ने कथित तौर पर उस पर “जातिवादी गालियाँ” दीं। एलिसब्रिज निवासी और पीडीएस दुकान के मालिक भरत देवशी वाघेरा (45) की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि बिक्री इस आधार पर रद्द कर दी गई कि वह अनुसूचित जाति से संबंधित है।

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पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर

दरअसल, बुधवार को एलिसब्रिज पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर में सोसायटी के सचिव, एक निवासी और संपत्ति के मालिक को आरोपी बनाया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि वाघेरा अपने ब्रोकर दोस्त महेश देसाई के साथ अपार्टमेंट की पहली मंजिल पर एक फ्लैट देखने गए थे। जिसके बाद  60 लाख रुपये में फ्लैट का  सौदा भी किया था और वाघेरा ने मकान मालिक को 2 लाख रुपये का चेक भी दिया था।

इसके बाद रजिस्टरी की प्रक्रिया शुरू हो गई थी और 6 दिसंबर, 2024 तक उन्हें डिप्टी कलेक्टर के कार्यालय से बिक्री की अनुमति भी मिल गई थी, जो कि अशांत क्षेत्र अधिनियम के अधिकार क्षेत्र में आने के कारण आवश्यक थी। वही एफआईआर में यह भी कहा गया है कि वाघेरा ने बिक्री के दस्तावेज तैयार करवाए थे, लेकिन जब इस साल 21 जनवरी को दोनों पक्षों की मुलाकात हुई तो विक्रेता ने उसमें कुछ बदलाव करने को कहा।

26 जनवरी को मकान मालिक ने वाघेरा से कहा कि सोसायटी के अध्यक्ष और सचिव उससे बात करना चाहते हैं। वाघेरा अपनी पत्नी गीता के साथ उनसे मिलने सोसायटी गए, जहां मालिक, उनकी पत्नी, सचिव और एक निवासी मौजूद थे। एफआईआर के अनुसार सोसायटी के सचिव ने वाघेरा से कहा, “हमें पहले से ही एक दलित को घर देने का पछतावा हो रहा है। हम दूसरे दलित को घर नहीं देना चाहते इसलिए हम आपको अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं देंगे।” इसमें कहा गया है कि बाद में मालिक ने भी अपना मन बदल लिया।

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