SC/ST कोर्ट का फैसला, दलित हत्याकांड के तीन दोषियों को आजीवन कारावास एक आरोपी बरी

Dalit Murder, Balotra Dalit Murder Case
Source: Google

Azamgarh News: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में एक दलित व्यक्ति की हत्या के मामले में तीन आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, जबकि एक आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। तो चलिए आपको इस लेख में पुरे मामले के बारे बताते है।

और पढ़े : Barabanki: “बिजली बिल ठीक कराना है तो बीबी को अकेले भेजो”, बिजली अधिकारी ने पार की सारी हदें

जानें क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां से सबसे ज्यादा अपराध की खबरें आती हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में एक दलित व्यक्ति की हत्या की बड़ी खबर सामने आई है। इस हत्या के मामले तीन आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, साथ ही सभी पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जबकि इसी मामले में एक अन्य आरोपी को पर्याप्त सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। यह फैसला SC-ST कोर्ट के जज कमलापति ने सोमवार को सुनाया।

बता दें, यह मामला 22 अक्टूबर 2003 की रात का है, जब राम दुलार के भतीजे राजेंद्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। राम दुलार ने गांव के अदालत राम पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। पुलिस ने जांच के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। जिसके बाद इस मामले में संबंधित थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया।

और पढ़े : Rajasthan news: शिक्षक की हैवानियत: दलित छात्र को पानी पीने पर सड़क पर पीटा

तीन आरोपी गिरफ्तार

अभियोजन पक्ष की तरफ से 11 गवाहों को पेश किया और तर्कों को रखा। अदालत ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद अभियुक्त राणा प्रताप, प्रदीप सिंह, मनीष सिंह को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि एक आरोपी को पर्याप्त सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।बता दें, दलितों पर अत्याचार भारत में एक गंभीर और व्यापक समस्या है। यह सदियों से चली आ रही जाति व्यवस्था का परिणाम है, जिसने दलितों को सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित और हाशिए पर ला दिया है।
इसमें दलित अत्याचार के विभिन्न रूप भी है जैसे दलितों को पीटा जाता है, बलात्कार किया जाता है, और यहां तक कि उनकी हत्या भी कर दी जाती है। वही दलितों को मंदिरों में प्रवेश करने, कुओं से पानी लेने, और अन्य सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने से रोका जाता है। इसके अलवा दलितों को अक्सर कम वेतन दिया जाता है और उन्हें बंधुआ मजदूरी करने के लिए मजबूर किया जाता है। सरकार को जाति व्यवस्था को खत्म करने के लिए सामाजिक और राजनीतिक प्रयास किए जाने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *