Sonbhadra news: दुद्धी में एक दलित नाबालिग लड़की के साथ छेड़खानी का मामला सामने आया है। पीड़िता के पिता ने थाने में तहरीर दी है, जिसके आधार पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। तो चलिए आपको इस लेख में पुरे मामले के बारे में बताते है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
भारत में जाति व्यवस्था अभी भी व्याप्त है, और दलितों को सबसे निचली जाति माना जाता है। इस वजह से, दलित लड़कियों को अक्सर सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर और असुरक्षित समझा जाता है, जिससे वे बलात्कार के आसान शिकार बन जाती हैं। ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है जहाँ दलित नाबालिग लड़की को गाँव के प्रधान ने अपनी हवास का शिकार बनाया है।
उत्तरप्रदेश के सोनभद्र के दुद्धी कोतवाली क्षेत्र में एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां दलित नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ के आरोप में ग्राम प्रधान के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने पॉक्सो एक्ट और एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार सिंह के मुताबिक पीड़िता के पिता ने ग्राम प्रधान के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत दर्ज कराई थी।
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पुलिस ने दर्ज किया मामला
इसी शिकायत के आधार पर पुलिस ने विधिक कार्रवाई शुरू कर दी है। मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब कुछ दिन पहले पीड़िता अपने माता-पिता के साथ पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में एससी-एसटी आयोग के उपाध्यक्ष जीत सिंह खरवार से मिली। पीड़िता ने उनके सामने पूरे मामले की जानकारी पेश की और न्याय की गुहार लगाई। इसके बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई करते हुए केस दर्ज कर लिया।
आपको बता दें, दलित लड़कियों को अक्सर समाज में भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण उन्हें शिक्षा, रोजगार और अन्य अवसरों से वंचित रहना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें और भी कमजोर बनाता है और उनके बलात्कार का शिकार होने की संभावना को बढ़ाता है। वही कई मामलों में, पुलिस दलित लड़कियों के साथ बलात्कार के मामलों में ठीक से जांच नहीं करती है और अपराधियों को गिरफ्तार नहीं करती है। इसके अलावा, न्याय व्यवस्था भी अक्सर दलित लड़कियों को न्याय दिलाने में विफल रहती है, जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं और वे और अधिक अपराध करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
लेकिन समाज में दलित लड़कियों के साथ बलात्कार के बारे में जागरूकता की कमी भी एक समस्या है। कई लोग अभी भी इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेते हैं और इसे रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करते हैं।