Muzaffarpur: हाल ही में बिहार से एक खबर सामने आई है। जहां एक दलित महिला से शादी से पति के परिवार वाले नाखुश हैं और उसे धमकी दे रहे हैं। जब उन्हें पुलिस से मदद नहीं मिली तो उन्होंने गांव छोड़ दिया। तो चलिए आपको इस लेख में पुरे मामले के बारे में बताते है।
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जाने क्या है पूरा मामला ?
‘मैं दलित हूं, इसलिए हमें घर में रहने नहीं दिया जा रहा है। मेरी जाति की वजह से मेरे पति का परिवार इस रिश्ते से खुश नहीं है। हम दोनों ने प्रेम विवाह किया है। हमें जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है।’ दरअसल यह मामला बिहार के मुजफ्फरपुर से सामने आया है, जहां पति का परिवार दलित महिला से उसकी शादी से नाखुश है और लगातार उसे धमका रहा है। जिसके बाद पीड़ित दंपत्ति ने स्थानीय थाने में जाकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस से मदद नहीं मिलने के बाद दंपत्ति ने गांव छोड़ रक्सोल चला गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीड़ित दंपत्ति पंकज और शोभा ने बताया कि उन्होंने लड़की के माता-पिता के सामने मंदिर में शादी कर प्रेम विवाह किया था, जिसके बाद पंकज के परिवार और रिश्तेदार खुश नहीं हैं। परिवार के चाचा कह रहे हैं कि लड़की को छोड़ दो वरना पिटाई के लिए तैयार रहो। बता दें, पीड़ित दंपत्ति ने अब न्याय की गुहार लगाते हुए एससी-एसटी (SC-ST) कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसके बाद इस मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलवा घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत भी मामला दर्ज किया गया हैं।
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सामाजिक मदद
आपको बता दें, यह मामला सामाजिक भेदभाव और उत्पीड़न का एक गंभीर उदाहरण है। इसमें जातिगत भेदभाव और महिलाओं के खिलाफ हिंसा शामिल है। इसके लिए दंपति गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) से मदद ले सकते हैं जो दलितों और महिलाओं के लिए काम करते हैं। वही वे सामाजिक कार्यकर्ताओं और समुदाय के नेताओं से मदद ले सकते हैं। दूसरी और वे राष्ट्रीय दलित आयोग या राज्य दलित आयोग से मदद ले सकते हैं। इसके अलवा दंपति को अपनी सुरक्षा और अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए। उन्हें किसी भी प्रकार के दबाव या धमकी के आगे नहीं झुकना चाहिए।