Tamilnadu news: तमिलनाडु के अरियालुर जिले में 16 वर्षीय दलित लड़की नंदिनी के अपहरण, बलात्कार और हत्या के मामले ने पूरे राज्य को झकझोर दिया था। जनवरी 2017 में जब पूरा देश जल्लीकट्टू विरोध प्रदर्शनों पर ध्यान केंद्रित कर रहा था, उसी दौरान नंदिनी का शव 14 जनवरी को कीलामलिगई के एक कुएं में मिला। 8 साल बाद भी उसका परिवार न्याय की उम्मीद में भटक रहा है।
नंदिनी का अपहरण और हत्या
29 दिसंबर 2016 को नंदिनी लापता हो गई थी। उसकी माँ राजकिली कई दिनों तक इरुम्बुकिरुची पुलिस स्टेशन के चक्कर लगाती रहीं, लेकिन पुलिस ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई। 14 जनवरी 2017 को नंदिनी का शव कीलामलिगई के एक खाली कुएं में मिला। शव बुरी तरह सड़ चुका था और बिना कपड़ों के था, जिससे यह स्पष्ट था कि उसके साथ अत्याचार हुआ था। नंदिनी की बड़ी बहन शिवरंजिनी ने कहा, हमारी बहन की हत्या कर दी गई, लेकिन पुलिस और सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। उनके लिए हम दलित हैं, इसलिए हमारी ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं है।
जातिगत भेदभाव और न्याय में देरी – अरियालुर का सिरुकादंबुर गांव जातीय रूप से वन्नियार समुदाय का गढ़ माना जाता है। यहां 3000 वन्नियार परिवार पक्के मकानों में रहते हैं, जबकि 300 दलित परिवार झोपड़ियों में। नंदिनी की माँ ने पुलिस से कई बार शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने अपहरण की रिपोर्ट दर्ज नहीं की।
जब रिपोर्ट दर्ज हुई, तो केवल गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया और बलात्कार व हत्या की धाराएं जोड़ी नहीं गईं। सामाजिक कार्यकर्ता सैमुवेल ने बताया, पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की। अगर पीड़िता ऊँची जाति की होती, तो क्या पुलिस ऐसे ही बर्ताव करती?
प्रेम संबंध का झांसा देकर किया हत्या
नंदिनी ने परिवार की आर्थिक मदद के लिए मजदूरी करना शुरू किया था। सड़क निर्माण के दौरान उसकी मुलाकात मणिकंदन नामक व्यक्ति से हुई, जो काम की देखरेख कर रहा था। परिवार का दावा है कि मणिकंदन ने नंदिनी को प्रेमजाल में फंसाया, फिर उसका अपहरण, बलात्कार और हत्या कर दी। शिवरंजिनी ने कहा, हमने उसे चेतावनी दी थी कि वह उस आदमी पर भरोसा न करे, लेकिन उसने हमारी नहीं सुनी।
- 29 दिसंबर – नंदिनी लापता हुई, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की
- 5 जनवरी – एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन अपहरण की धाराएं नहीं जोड़ी गईं
- 6 जनवरी – आरोपी मणिकंदन को पूछताछ के लिए बुलाया गया, लेकिन कुछ घंटों बाद ही छोड़ दिया गया इसके बाद मणिकंदन फरार हो गया। 12 जनवरी को उसने ज़हर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की और अस्पताल में हत्या की बात कबूल की, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। 14 जनवरी को उसने ग्राम प्रशासनिक अधिकारी (VAO) के सामने आत्मसमर्पण किया और स्वीकार किया कि उसने अपने चचेरे भाइयों के साथ मिलकर नंदिनी का बलात्कार किया और हत्या कर दी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस की भूमिका पर सवाल
परिवार का दावा है कि नंदिनी गर्भवती थी, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। माँ राजकिली ने कहा, पुलिस ने हमें बताया कि हमारी बेटी गर्भवती थी, लेकिन इसका कोई मेडिकल प्रमाण नहीं दिया गया।
मामले में देरी और राजनीतिक प्रभाव – मणिकंदन और उसके तीन चचेरे भाइयों – थिरुमुरुगन, मणिवन्नन और वेत्रिसेल्वन को गिरफ्तार किया गया, लेकिन केवल दो आरोपियों पर POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। वकील करल मार्क्स ने कहा, पुलिस की खराब जांच के कारण आरोपी को फायदा होगा। अदालत भी मामले को तेजी से नहीं सुलझा रही। नंदिनी के परिवार ने CB-CID जांच की मांग की, लेकिन सरकार और पुलिस प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
जातिवाद और राजनीतिक प्रभाव
परिवार का आरोप है कि हिंदू मुन्नानी संगठन से जुड़े स्थानीय नेता पुलिस पर दबाव डाल रहे थे, जिससे आरोपियों को बचाया जा सके।
- DMK नेता एम. के. स्टालिन ने न्याय का वादा किया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई
- दलित संगठनों ने सरकार से CBI जांच की मांग की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला
आज भी न्याय की प्रतीक्षा में परिवार – माँ राजकिली ने कहा, उसने मेरी बेटी को मार दिया, लेकिन अब भी आज़ाद घूम रहा है। पुलिस और राजनेता सभी मौन हैं। आठ साल बाद भी नंदिनी का परिवार न्याय की आस में भटक रहा है। यह मामला तमिलनाडु में जातिगत भेदभाव और न्याय प्रणाली की कमजोरी को उजागर करता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या नंदिनी के परिवार को न्याय मिलेगा, या यह मामला भी अन्य दलित हत्याओं की तरह इतिहास में गुम हो जाएगा?