Samuhik Shadi Samaroh: बुंदेलखंड में दलित दूल्हों की घोड़ी पर बारात, राष्ट्रपति ने बढ़ाया हौसला

Samuhik Shadi Samaroh, Bageshwar Dham Samuhik Shadi Samaroh
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Bageshwar Dham Samuhik Shadi Samaroh: बुंदेलखंड में आज एक ऐतिहासिक घटना होने जा रही है। बागेश्वर धाम में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में 251 दलित दूल्हे घोड़ी पर चढ़कर बारात निकालेंगे। यह एक ऐसा कदम है जो सदियों से चली आ रही सामाजिक कुरीतियों को तोड़ने का प्रयास है। तो चलिए आपको इस लेख में पुरे मामले के बारे में बताते है।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू होगी सामूहिक शादी समारोह में शामिल

पीएम नरेंद्र मोदी के बाद, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज, 26 फ़रवरी को, बागेश्वर धाम में 251 गरीब लड़कियों के सामूहिक विवाह समारोह में शिरकत करने जा रही हैं। इनमें से 108 लड़कियाँ गरीब दलित परिवारों से हैं, जिनके दूल्हे बुंदेलखंड की प्राचीन परंपराओं को चुनौती देते हुए घोड़ी पर सवार होकर बारात लेकर आएंगे।

इस अनोखे आयोजन में पंडित धीरेंद्र शास्त्री का ‘अंगद’ नामक घोड़ा भी एक दलित दूल्हे की बारात का हिस्सा बनेगा। बुंदेलखंड में दलित दूल्हों को घोड़ी पर चढ़ने नहीं देने की सामंती सोच के कारण अक्सर नकारात्मक स्थिति उत्पन्न होती रही है, लेकिन अब बालाजी धाम में धीरेंद्र शास्त्री हिंदू सामाजिक समरसता का एक नया ताना-बाना बुनने की दिशा में प्रयासरत हैं।

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खुशी से खिल उठे चेहरे

दलित बेटियों के इस सामूहिक विवाह के बारे में आपको बता दें, माता-पिता का कहना है कि बागेश्वर महाराज इसी तरह सभी गरीब लड़कियों की शादी करते रहें. हम खुश हैं। किसी लड़की और उसके परिवार ने इतना नहीं सोचा था। बाबा ने सबके बारे में सोचा, उन्हें हर गरीब लड़की की शादी की चिंता है। आदिवासी समुदाय के दीनानाथ कहते हैं कि “मालक ने शादी तय कर दी है, हम बहुत खुश हैं।

यह हमारे हाथ में नहीं था। हम अपना पेट पालेंगे या शादी करेंगे।” इसके अलावा गांव में रहने वाली राजाबाई कहती हैं, “अमीर लोग गरीबों और दलितों को घोड़े पर बैठने नहीं देते थे। महाराज के आशीर्वाद से अब हमारे दामाद घोड़े पर बैठकर आएंगे। जैसे अमीर लोग आते हैं।”

क्यों है यह आयोजन महत्वपूर्ण?

दरअसल, बुंदेलखंड क्षेत्र में दलितों को घोड़ी पर चढ़ने की अनुमति नहीं होती। यह एक प्राचीन सामाजिक भेदभाव का परिणाम है, जो कि सदियों से चला आ रहा है। आज भी, कई क्षेत्रों में दलित दुल्हे को घोड़ी के ऊपर से गिराने की घटनाएँ सुनने में आती हैं। कुछ स्थानों पर तो दलित दुल्हे की बारात पर हमले की भी सूचना मिलती है। वही इस आयोजन के माध्यम से, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री इस कुरीति को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

इसके अलवा यह आयोजन सामाजिक समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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