Ambedkar Surname – बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के जीवन से जुड़े तमाम तथ्यों से आप परिचित होंगे. उनके द्वारा किए गए कार्य भी आपको पता होंगे. बाबा साहेब का पूरा जीवन कितने संघर्षों और सामाजिक भेदभाव में बीता, इसकी जानकारी भी भली भांति पता होंगी. लेकिन आज की वीडियो में हम आपको बाबा साहेब के निजी जीवन से जुड़ी वैसे बात बताएंगे, जिसे शायद आप नहीं जानते होंगे. क्या शुरू से ही बाबा साहेब का पूरा नाम भीम राव आंबेडकर था ? एक तरफ तो इसका जवाब हां था लेकिन जब हमने जानकारी जुटाई और इस बारे में रिसर्च की तो पता चला कि बाबा साहब के सरनेम के पीछे भी उनके पूरे जीवन की तरह ही एक बड़ी कहानी है. यानी शुरु में बाबा साहेब का नाम भीमराव अंबेडकर नहीं था..आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि आखिर बाबा साहेब का नाम भीमराव अंबेडकर कैसे पड़ा? क्यों पड़ा? और किसने रखा? भीमराव सकपाल से भीमराव अंबेडकर बनने की कहानी क्या है?
ऐसे मिला बाबा साहेब को अंबेडकर सरनेम
बाबा साहेब 14 अप्रैल को मध्यप्रदेश के छोटे से गाँव में पैदा हुए. उनकी माता का नाम भीम्बायी और पिता का नाम था रामजी मालोजी सकपाल. अपनी पारिवारिक परंपरा के कारण उन्हें अपने नाम के आगे सकपाल लगाना पड़ता था. इसीलिए उनका शुरूआती सरनेम भी सकपाल ही था यानी भीम राव सकपाल. चूंकि वो महार जाति से संबंध रखते थे इसलिए समाज के बाकी लोग इन्हें नीची जाती का मानते थे. बचपन में उन्हें जातिगत बुराइयों और कुरीतियों से गुजरना पड़ा था. बाद में जब स्कूल में उनका दाखिला होने गया, तब उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल ने बाबा साहेब के सरनेम में आंबडवेकर लिखवाया. आंबडवेकर उपनाम का कनेक्शन उनके गांव से जुड़ा हुआ था. दरअसल, वो कोंकण के अंबाडवे गांव के मूल निवासी थे, इसलिए उनके सरनेम में आंबडवेकर लगाया गया. तब उनका नाम भीमराव आंबडवेकर हुआ. Ambedkar Surname
भीमराव आंबडवेकर से वो भीमराव अंबेडकर कैसे बनें, यह किस्सा भी उनके स्कूल के दिनों से जुड़ा हुआ है. बाबा साहेब बचपन से ही पढ़ने लिखने में काफी तेज थे. उनकी इस खूबी के कारण उनके टीचर्स उन्हें बहुत दुलार भी करते थे. उनके एक ब्राह्मण शिक्षक कृष्णा महादेव अबेंडकर का लगाव भी उनसे काफी अधिक था और इसी खास लगाव के कारण कृष्णा महादेव ने भीमराव के नाम के आगे अंबेडकर सरनेम जोड़ दिया. इस तरह बाबा साहब का नाम भीमराव सकपाल से बदलकर भीमराव आंबडवेकर और फिर भीम राव अंबेडकर हुआ.
देश के पहले कानून मंत्री बने थे अंबेडकर – Ambedkar Surname
जातिगत भेदभाव से जूझने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर के लिए शुरुआती दौर की पढ़ाई आसान नहीं रही. स्कूल में एडमिशन के बाद इन्हें कक्षा में बैठने से कई बार रोका गया, वजह थी इनका निचली जाति से ताल्लुक रखना. यह भेदभाव स्कूल में सिर्फ पढ़ने-लिखने तक ही सीमित नहीं थी. इन्हें सार्वजनिक मटके से पानी पीने से भी रोका गया. इस भेदभाव के कारण समाज में उन्हें हर उस चीज के करीब जाने से रोकने की कोशिश की गई जो उन्हें पसंद थी. जैसे- मंदिर जाना, किताबें पढ़ना आदि. ऐसी कई बातें उनके जेहन में घर कर गईं और यही से ऊंच-नीच का फर्क मिटाने के संघर्ष की नींव पड़ी. तमाम संघर्ष के पड़ाव को पार करने के बाद वही बच्चा आगे चलकर देश का पहला कानून मंत्री बना.