Jhansi news: झांसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में दलित छात्रों ने कुलपति कार्यालय का घेराव किया। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप बढ़ रहा है, जिससे उन्हें परेशानी हो रही है। छात्रों ने इस मुद्दे पर कुलपति से बात करने की कोशिश की, लेकिन जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो उन्होंने कार्यालय का घेराव कर लिया। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।
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दलित छात्रों के शैक्षिक संस्थानों में भेदभाव
भारत में दलित छात्रों के साथ भेदभाव एक गंभीर समस्या है जो कई रूपों में सामने आती है। दलित छात्रों को अक्सर शिक्षकों और अन्य छात्रों द्वारा भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उन्हें जातिवादी टिप्पणियों, उपहास और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में, उन्हें शिक्षा के अवसरों से वंचित किया जा सकता है। हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में दलित छात्रों को llb में प्रवेश देने से मना कर दिया गया। उन्होंने विश्वविद्यालय के गेट पर ताला जड़ दिया। प्रबंधन ने छात्रों को समझाने की कोशिश की लेकिन वे सुनने को तैयार नहीं थे।
दरअसल, छात्रों का कहना है कि बाहरी व्यक्ति विश्वविद्यालय के काम में हस्तक्षेप कर रहा है और छात्रों को परेशान कर रहा है। उनका आरोप है कि बाहरी व्यक्ति के हस्तक्षेप के कारण उन्हें छात्रवृत्ति और अन्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। गुस्साए छात्रों ने कुलपति से बाहरी व्यक्ति के हस्तक्षेप को रोकने और उनकी समस्याओं का समाधान करने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आंदोलन तेज करेंगे।
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छात्रवृत्ति और अन्य सुविधाओं से वंचित
दलित छात्रों को अक्सर छात्रवृत्ति और अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित रखा जाता है। नौकरशाही बाधाओं और भ्रष्टाचार के कारण, उन्हें अपनी पात्रता के बावजूद इन सुविधाओं तक पहुँचने में कठिनाई हो सकती है। दलित छात्रों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर, उन्हें सामाजिक कार्यक्रमों और गतिविधियों में भाग लेने से रोका जा सकता है। उन्हें अपने समुदाय के भीतर भेदभाव का भी सामना करना पड़ सकता है।
यह भेदभाव दलित छात्रों के शैक्षणिक और सामाजिक विकास को बुरी तरह प्रभावित करता है। यह उनके आत्मविश्वास को कम करता है और उन्हें समाज में पूरी तरह से भाग लेने से रोकता है। भारत सरकार ने दलित छात्रों के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करने के लिए कई कानून और नीतियां लागू की हैं। हालाँकि, इन कानूनों और नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।