Uttar Pradesh: नाबालिग दलित लड़की से दुष्कर्म, दो दोषियों को आजीवन कारावास की सजा

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Uttar Pradesh news: हाल ही में उत्तरप्रदेश के संभल की एक अदालत ने दलित किशोरी से दुष्कर्म के मामले में दो दोषियों को सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी (SC/ST) कोर्ट संदीप गुप्ता ने दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और उन पर 60-60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।

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जानें क्या है पूरा मामला?  

बीते दिन उत्तरप्रदेश के संभल से एक बड़ी खबर सामने आई है जहाँ संभल के बहजोई में वर्ष 2008 में दलित युवती से दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जी हाँ, विशेष न्यायाधीश SC/ST ACT की कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया है। दरअसल, यह मामला 18 मई 2008 का है। जहाँ पीड़िता के पिता ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। आरोपियों ने किशोरी का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया था। उन्होंने जातिसूचक गालियां भी दी थीं।

आपको बता दें, यह मामला बहजोई थाना क्षेत्र के एक गांव का है, जहां दो युवकों ने नाबालिग दलित लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया, जिसमें उसने बताया कि आरोपी उसे जबरन बाइक पर ले गए और उसके साथ दुष्कर्म किया।

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17 साल बाद आया फैसल

इस मामले को लेकर कोर्ट ने साक्ष्यों और पीड़िता के बयानों के आधार पर दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया। वही कोर्ट ने रामपुर के अजीमनगर थाना क्षेत्र के हरदास कोटरा के रहने वाले ओम सिंह और हरपाल सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और दोनों आरोपियों पर 60-60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

इसके अलवा विशेष लोक अभियोजक आनंदपाल के अनुसार पुलिस ने धारा 363, 376 (2) जी और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (1) 12 के तहत मामला दर्ज किया था। 17 साल बाद पीड़िता और उसके परिवार को न्याय मिला है।

भारतीय न्याय संहिता

आपको बता दें, बलात्कार के तहत बलात्कार के लिए न्यूनतम सजा 10 साल की कैद है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 इस अधिनियम के तहत, अगर पीड़ित अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित है, तो सजा और भी सख्त हो जाती है। इस अधिनियम के तहत बलात्कार के लिए न्यूनतम सजा आजीवन कारावास है।

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