मायावती का अखिलेश यादव पर हमला, गेस्ट हाउस कांड को याद दिलाया

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Mayawati: बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश की राजनीति में राणा सांगा विवाद ठंडा नहीं पड़ रहा है। अब इस विवाद में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती भी कूद पड़ी हैं। जी हाँ, बीएसपी प्रमुख मायावती ने हाल ही में गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।

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मायावती ने याद दिलाया गेस्ट हाउस कांड

बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश की राजनीति में राणा सांगा विवाद लगातार गरमाता जा रहा है। इस विवाद में बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती भी कूद पड़ी हैं। उन्होंने इस मामले पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बयान के जवाब में 1995 के गेस्ट हाउस कांड का जिक्र किया है। जानकारों का कहना है कि इस पार्टी को आगरा की घटना के साथ ही 1995 में मुझ पर हुए गंभीर आदिवासी हमलों को भी याद रखना चाहिए। अब सवाल उठता है कि मायावती इस विवाद में क्यों पड़ीं और तीन साल बाद फिर से गेस्ट हाउस कांड की याद क्यों दिला रही हैं?

राणा सांगा विवाद किस बात का है?

मायावती ने कहा कि सपा को गेस्ट हाउस कांड को याद रखना चाहिए और उस पर दुख भी जताना चाहिए। उन्होंने कहा कि सपा को आगरा की घटना का इस्तेमाल अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगरा की तरह दलितों को और नुकसान न पहुँचाया जाए। मायावती का यह बयान अखिलेश यादव द्वारा अपने नेता रामजी लाल सुमन के घर को नुकसान पहुँचाने की बात कहने के बाद आया है।

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दलित वोट बैंक की राजनीति

मायावती का मुख्य उद्देश्य अपने दलित वोट बैंक को मजबूत करना है। गेस्ट हाउस कांड, जिसमें समाजवादी पार्टी (सपा) पर मायावती पर हमला करने का आरोप है, दलित समुदाय के लिए एक भावनात्मक मुद्दा है। इस घटना को याद दिलाकर, मायावती दलितों को यह याद दिलाना चाहती हैं कि सपा ने अतीत में उनके साथ कैसा व्यवहार किया था। इससे उन्हें दलितों का समर्थन हासिल करने और उन्हें सपा के खिलाफ एकजुट करने में मदद मिल सकती है।

क्या था गेस्ट हाउस कांड  

2 जून 1995 को लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस में जो कुछ हुआ, वह यूपी की राजनीति के लिए बड़ी घटना थी। जब सपा और बसपा गठबंधन सरकार में थे, तब बसपा ने अपना समर्थन वापस ले लिया था। जिसके बाद सपा कार्यकर्ताओं ने गेस्ट हाउस में मायावती पर हमला कर दिया था। इस घटना को याद दिलाकर मायावती न सिर्फ अपने दलित वोट बैंक को मजबूत करना चाहती हैं, बल्कि सपा पर दबाव बनाकर राजनीतिक लाभ भी उठाना चाहती हैं।

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