Ayodhya: खंडासा में दलित महिला के साथ मारपीट, आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज

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Ayodhya news: हाल ही में उत्तरप्रदेश के अयोध्या के खंडासा थाना क्षेत्र से दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है जहाँ एक दलित महिला के साथ मारपीट हुई है। ये घटना बुधवार सुबह अटेशर गांव की है। पीड़ित रामचंद्र कोरी ने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया कि वह गेहूं काटने के लिए खेत पर गया था और उसकी पत्नी घर पर थी। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।

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जानें क्या है पूरा मामला?

हाल ही में खंडासा इलाके में दलित महिला से मारपीट का मामला सामने आया है। पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। दरअसल, सुबह करीब 6 बजे उनकी पत्नी को घर की दीवार टूटने की आवाज सुनाई दी। जब वह बाहर निकली तो देखा कि शेषनाथ सिंह, अनिल सिंह, शिवम सिंह, आशीष सिंह, अर्पण सिंह, अमन सिंह, अंशिका सिंह और शक्ति सिंह दीवार तोड़ रहे हैं। जब महिला ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो आरोपियों ने जातिसूचक गालियां देते हुए उसके साथ मारपीट की और वही पीड़ित ने बताया कि आरोपियों ने अनाज बिखेर दिया।

आरोपियों की मंशा दीवार तोड़कर अपने घर का दरवाजा लगाने की थी। शोर सुनकर जब आसपास के लोग वहां पहुंचे तो आरोपी मौके से फरार हो गए। थाना प्रभारी संदीप कुमार सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

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दलित महिलाओं के साथ हिंसा

दलित महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक गंभीर और व्यापक समस्या है जो भारत में गहराई से जड़ें जमा चुकी है। यह हिंसा जाति, वर्ग और लिंग के जटिल अंतर्संबंधों का परिणाम है, जिसमें दलित महिलाएं समाज के सबसे निचले पायदान पर होने के कारण विशेष रूप से असुरक्षित हैं। दलित महिलाओं को अक्सर उच्च जाति के पुरुषों द्वारा हिंसा का शिकार होना पड़ता है। इस हिंसा का इस्तेमाल वर्चस्व स्थापित करने, जातिगत श्रेष्ठता दिखाने और दलित समुदायों को अपमानित करने के हथियार के रूप में किया जाता है।

वही दलित महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक स्थानों तक पहुंच में गंभीर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह सामाजिक बहिष्कार उन्हें और भी अधिक असुरक्षित और हिंसा के प्रति अतिसंवेदनशील बनाता है। आपको बता दें, दलित महिलाओं के खिलाफ हिंसा मानवाधिकारों का उल्लंघन है और इसे समाप्त करने के लिए तत्काल और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है। दलित महिलाओं के लिए सुरक्षित, न्यायपूर्ण और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित करने के लिए सरकार, नागरिक समाज संगठनों और पूरे समाज को मिलकर काम करना चाहिए।

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