Etah: दलित युवकों के साथ जातिगत दुर्व्यवहार, कावड़ चढ़ाने से रोका, पीटा

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Uttar Pardesh news: हाल ही में उत्तर प्रदेश के एटा जिले में मानवता को शर्मशार करने वाली खबर सामने आई है जहाँ कुछ दलित युवकों को एक मंदिर में कावड़ चढ़ाने से रोका गया, और उनके साथ मारपीट की गई। पीड़ितों ने इस मामले की शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कार्यालय में दर्ज कराई है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।

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दलित युवकों के साथ मारपीट

बीते दिन उत्तर प्रदेश के एटा जिले की एक घटना चर्चा में रही, जहां कुछ दबंगों ने प्रदर्शनकारियों को मंदिर में कांवड़ चढ़ाने से रोक दिया। दलितों ने मंदिर में पवित्र कांवड़ चढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें दबंगों का सामना करना पड़ा। घटना के मुताबिक, जब चार दलित युवक कांवड़ लेकर आए थे, तो दबंगों ने जातिगत भेदभाव करते हुए कहा था कि तुम जाटव जाति के हो, तुम कांवड़ नहीं ले जा सकते। इस जातिगत टिप्पणी से विवाद पैदा हो गया और मामला तेजी से बढ़ गया। दबंगों ने न सिर्फ धमकी दी, बल्कि कांवड़ियों के घर में घुसकर उन पर हमला भी किया।

इस घटना के बाद पीड़ित परिवार में डर का माहौल है और गांव में तनाव व्याप्त है। जब दबंगों ने थाने में शिकायत की और वहां कोई सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय का दरवाजा खटखटाया। बता दें, यह एक गंभीर विवाद है, जिससे स्थानीय समाज में चिंता का माहौल है।

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गाँव निवासी का आरोप 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार थाना सकीट के गांव कावर निवासी रविंद्र ने आरोप लगाया है कि वह 12 अप्रैल की शाम अपने चार साथियों के साथ काली मंदिर में कांवड़ चढ़ाने गया था। उस समय कुछ स्थानीय दबंगों ने उन्हें रोक लिया और कहा कि वे जाटव हैं, इसलिए मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते। इसके बाद 13 अप्रैल को आरोपियों ने उसके घर में घुसकर मारपीट की। इससे आहत रविंद्र ने 112 नंबर पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो पीड़ितों ने एसएसपी कार्यालय जाकर शिकायत दर्ज कराई। हालांकि पुलिस ने इन आरोपों को निराधार बताया है और आरोपियों के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज कर लिया गया है।

आपको बता दें, यह घटना जातिगत भेदभाव और सामाजिक अन्याय का एक और उदाहरण है। यह संविधान में निहित समानता के अधिकार का उल्लंघन है। सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के धार्मिक स्थलों पर जाने और पूजा करने का अधिकार है। अधिकारियों को इस मामले की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और दोषियों को कानून के अनुसार दंडित करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

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