Mayawati: हाल ही में बहुजन समाज पार्टी (BSP) की नेता मायावती ने समाजवादी पार्टी (SP) पर दलित समुदाय के लोगों को भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सपा का मकसद दलितों की नाराजगी का फायदा उठाकर राजनीतिक लाभ हासिल करना है। मायावती ने यह भी कहा कि सपा दलितों के अधिकारों की रक्षा नहीं कर रही है, बल्कि उन्हें सिर्फ वोट बैंक के तौर पर देख रही है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।
और पढ़े: मायावती का अखिलेश यादव पर हमला, गेस्ट हाउस कांड को याद दिलाया
जानें क्या कहा मायावती ने
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती ने गुरुवार की सुबह अचानक समाजवादी पार्टी पर जोरदार हमला किया। उनके निशाने पर समाजवादी पार्टी और उसके नेता अखिलेश यादव का पीडीए फॉर्मूला था, जिसे उन्होंने दलित समुदाय का शोषक बताया। इस आरोपों के समर्थन में उन्होंने कई तर्क भी प्रस्तुत किए। मायावती ने अपनी नाराजगी सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्त की। तो आइए, जानें कि असली मुद्दा क्या है और मायावती ने xpost पर कहा। दरअसल मायावती ने कहा दलितों के नाम पर तनाव और हिंसा फैला रही है सपा, मुस्लिम वोटरों को…, अखिलेश पर बिफरी मायावती; लगाया गंभीर आरोप
.
.
.#Mayawati #Akhileshyadav #Ranasangadispute #SP #BSPhttps://t.co/ibTGEd7oRq
— Republic Bharat – रिपब्लिक भारत (@Republic_Bharat) April 17, 2025
और पढ़े: Mayawati: दलित समाज कांग्रेस के बहकावे में कभी नहीं आएगा, मायावती ने खोल दिए पत्ते!
मायावती ने समाजवादी पार्टी पर साधा निशाना
बसपा सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी (SP) पर हमला बोलते हुए उस पर पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) अभियान के तहत राजनीतिक लाभ के लिए दलितों का शोषण करने का आरोप लगाया है। बसपा नेता ने अपने विचार व्यक्त करने के लिए ‘एक्स’ पर कई पोस्ट किए। अपनी पहली पोस्ट में उन्होंने लिखा, “यह सच है कि अन्य राजनीतिक दलों की तरह सपा भी अक्सर दलितों को आगे रखकर तनाव और हिंसा का माहौल बनाने वाले मामलों में लिप्त नजर आती है। उनके लगातार बयान, आरोप-प्रत्यारोप और विवादों से घिरे आयोजन उनकी संकीर्ण स्वार्थी राजनीति को उजागर करते हैं।”
उन्होंने कहा, ”सपा अपने स्वार्थ के लिए दलितों का वोट पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। इसलिए दलितों, पिछड़ों और मुस्लिम समाज को इनके बहकावे में नहीं आना चाहिए और इनके राजनीतिक हथकंडों से दूर रहना चाहिए।” मायावती ने यह भी कहा कि इन पार्टियों से जुड़े ऐसे अवसरवादी दलितों को दूसरों के अतीत पर टिप्पणी करने के बजाय अपने समाज के संतों, गुरुओं और महापुरुषों की अच्छाइयों और संघर्षों पर ध्यान देना चाहिए।