Bheem army chief ravan: एक विकसित देश, एक दलित नेता, और एक 12 करोड़ी गाड़ी, फिल्हाल देश में हर जगह इसी की चर्चा हो रही है। भारत जैसे देश में जहां दलितों को इंसान तक समझना सवर्ण अपना अपमान समझते है वहां एक भारतीय दलित नेता वो भी 12 करोड़ की रॉल्स रॉयस में कैसे बैठ सकता है। ये बात उच्च जाति के लोगों को हजम नहीं हो रही है। आखिर कौन है ये दलित नेता, जिसकी ठाठ-बाट देखकर मनुवादियों के पेट में मरोड़े उठने लगी है। आइये जानते है इस खबर में।
क्या है पूरा मामला
दरअसल हुआ कुछ यूं है कि सोशल मीडिया प्लेटफोर्म एक्स पर इन दिनों दलित नेता चंद्र शेखर आजाद का एक वीडियों तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियों में एक रोल्स रोयस कार है, जिसकी कीमत 12 करोड़ रूपय है। लेकिन इस कार से ज्यादा हैरान होंगे आप इस कार में बैठे व्यक्ति को देखकर। ये व्यक्ति है भीम आर्मी प्रमुख और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्र शेखर आजाद रावण। रावण इस वीडियो में बड़े शान आजाद एक रॉल्स रॉयस से उतरते दिख रहे है। इतना ही नहीं इस कार के नंबर प्लेट पर “चमार1” लिखा है। आजाद का ये वीडियो सोशल मीडिया पर एक यूजर अंजुल बम्र्होलिया ने शेयर करते हुए दावा किया था ये कार उनकी अपनी नीजि है। रॉल्स रॉयस कार असल में चंद्र शेखर आजाद रावण की ही है। कार की कीमत 12 करोड़ रूपय है।

वीडियो के सामने आने के बाद लोग आजाद की लाइफस्टाइल की काफी तारीफ कर रहे है। आजाद दलितों के मसीहा है, और उनकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण ही वो आज अमेरिका में खड़े होकर लोगों को संबोधित कर रहे है। ये दलितों के लिए आने वाले सुनहरे भविष्य का संकेत है। तो वहीं आजाद के इस रूप को देखकर मनुवादी और स्वर्ण जाति के लोगों की आंखों में किरकिरी होने लगी है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या रॉल्स रॉयस, टैस्ला या कोई भी मंहगी कार केवल स्वर्ण जाति के बैठने के लिए है, अगर कोई दलित उस पर सवारी करें तो दलितों को हीन भावना से देखने वालों के पेट में मरोड़े क्यों उठने लगते है।
आजाद के अमेरिका दौरे का सच!
आजाद के इस वीडियो के वायरल होने के बाद कई तरह प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। शोसल मीडिया यूजर आजाद की तारीफ करते हुए कह रहे कि “कार पर लिखा चमार बता रहा है कि भारत जैसे देश में एक तरफ इस जाति को हीन माना जाता है वहीं आजाद ने अमेरिका में इसे सम्मानीय बनाया है। अमेरिका में जातिवाद जैसा मुद्दा नहीं है।”
वहीं जब मनुवादियों ने आजाद की इनकम और लाइफस्टाइल को लेकर सवाल उठाए तो इसका भी उन्हें करारा जबाव मिला। बता दे कि आजाद को अमेरिका के ही कुछ बाबा साहब के विचारों को मानने वाले संगठनों ने बाबा साहब के जन्मदिन पर होने वाले कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया था। इतना ही नहीं वहां उनका स्वागत भी बड़े जोर शोर से किया गया। आजाद 11 अप्रैल को अमेरिका दौरे पर गए थे और 22 अप्रैल तक ये दौरा हुआ है। बाबा साहब भीमराव की जयंती पर आजाद अपने भाषण के दौरान बाबा साहब को याद करते हुए रो पड़े और उन्होंने लोगो सो संबोधित करते हुए कहा कि भारत में बाबा साहब के दिए गए योगदान को देश का कोई भी दलित हो कभी भी भूल नहीं सकता है। वो हमेशा हमारे लिए पूजनीय है, वो दलित समाज के मसीहा रूप में जाने जायेंगे।
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अब जहां बीजेपी, कांग्रेस, सपा और बसपा पार्टियां बाबा साहब के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाती है, उनके विचारों को दिल से मानने का हवाला देती है, वैसे में भीम आर्मी प्रमुख को अमेरिका से आमंत्रण मिलने पर मनुवादियों को तो मिर्ची लगेगी ही। आखिर बाबा साहब के नाम पर वोट बैंक जो बढ़ाना है। इन लोगों ने आजाद की संपत्ति और बैंक बैलेस को लेकर भी तीखे प्रहार कर दिए। कहने लगे कि आखिर इतना पैसा कहां से आ गया कि रॉल्स रॉयस पर बैठने की हैसियत हो गई। तो फिर बता दें कि ये कार आजाद की नीजि कार नहीं है बल्कि संगठन से जुड़े एक बिजनस मैन की है जिन्होंने आजाद के सम्मान में वो कार भेजी थी।
अब सवाल .ये है कि आजाद कितनी संपत्ति के मालिक है तो चलिए एक नजर उस पर भी डाल लेते है।
आज़ाद की कुल संपत्ति
चंद्र शेखर आजाद रावण ने 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में नगीना लोकसभा क्षेत्र से नामांकन किया था। इस दौरान उन्होंने अपनी और अपनी संपत्ति का ब्यौरा चुनाव आयोग को दिया था। उस ब्यौरे के मुताबिक आजाद के पास 18 हजार रुपय कैश, 1 लाख 93 हजार रूपय उनके बैंक अकाउंट में, 0.205 हेक्टेयर जमीन और मात्र 50 ग्राम सोना है। तो वहीं उन्होंने अपनी पत्ति की संपत्ति का भी ब्यौरा दिया था जिसके मुताबिक 15 हजार रूपय कैश, करीब साढ़े चार लाख बैंक अकाउंट में और 400 ग्राम के सोने के गहने है। आजाद की सभी संपत्ति करीब 44 रूपय की है। लाखों रूपय की संपत्ति और कार करोड़ो की। औऱ वो भी अपनी पर्सनल कार, कोई किराये पर नहीं, भला ये कैसे मुमकिन है।
आजाद का इतिहास
यूपी के सहारनपुर के एक गांव घड़कौली में एक सरकारी टीचर के घर जन्में आजाद ने देहरादून से लॉ की पढ़ाई पूरी की थी और वो आगे पढ़ने के लिए अमेरिका जाना चाहते थे। लेकिन सहारनपुर की एक घटना ने आजाद के सपने और जीने के तरीके को ही बदल कर रख दिया। दरअसल आजाद अपने पिता का इलाज कराने सहारनपुर के एक अस्पताल पहुंचे थे, जहां उन्होंने दलितों पर होने वाले अत्याचार की कई कहानी देखी। यहीं से आजाद ने दलितों के लिए लड़ना शुरु कर दिया और 2014 आजाद, सतीश कुमार औऱ विनय रतन सिंह ने मिलकर स्थापना की भीम आर्मी की। आजाद की लोकप्रियता 2017 में और ज्यादा तब बढ़ गई जातिगत हिंसा के लिए लड़ने के दौरान आजाद को गिरफ्तार किया गया। आजाद पर एनएसए लगाया गया था लेकिन उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बेल दे दी थी। भीम आर्मी दलित शब्द के इस्तेमाल के खिलाफ इस्तेमाल करने को लेकर बनाया गया।
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माना जा रहा है कि अमेरिकी दौरे के दौरान ही आजाद का ये वीडियो बनाया गया था, हालांकि इन दावों की सत्यता की पुष्टि होना अभी बाकी है। मगर ये कहना गलत न होगा कि अमेरिकी दौरे ने आजाद की लोकप्रियता को और ज्यादा बढ़ा दिया है साथ ही दलितों के लिए उनकी लड़ाई को भी और तेज कर दिया है। आजाद के इस वायरल वीडियों पर आपकी क्या राय है हमें कमेंट करके जरूर बताएं।