Bihar news: हाल ही में बिहार के मोकामा में दलित नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मूर्ति को असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिया है। यह घटना मोकामा टाल इलाके के चाराडीह में हुई, जहां मूर्ति स्थापित की गई थी। असामाजिक तत्वों ने ईंट से मार-मारकर मूर्ति की नाक को क्षतिग्रस्त कर दिया। तो चलिए इस लेख में आपको पूरा मामला बताते हैं।
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जानें क्या है पूरा मामला?
पटना के मोकामा टाल इलाके के चाराडीह गांव में एक शर्मनाक घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। प्रसिद्ध दलित नेता और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान की मूर्ति को कुछ असामाजिक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। इस घटना से जहां स्थानीय समुदाय में आक्रोश है, वहीं मोकामा से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक और सामाजिक हलकों में गहरी नाराजगी और चिंता की लहर फैल गई है। पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कर दोषियों की पहचान के लिए जांच तेज कर दी है।
जैसे घटना की सूचना मिलते ही घोसवरी प्रखंड के पदाधिकारी और पुलिस बल तत्काल मौके पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू कर दी। दलित कार्यकर्ता मिथिलेश पासवान की लिखित शिकायत के आधार पर पुलिस ने अज्ञात असामाजिक तत्वों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और अब आगे की कार्रवाई कर रही है। वही प्रारंभिक जांच से पता चला है कि यह कृत्य समाज में तनाव पैदा करने के उद्देश्य से एक सुनियोजित चाल हो सकती है। पुलिस ने मोबाइल टावर डेटा और संभावित गवाहों के बयानों के आधार पर अपनी जांच आगे बढ़ाने का फैसला किया है।
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तत्काल गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग
रामविलास पासवान की मूर्ति को नुकसान पहुँचाए जाने से दलित समुदाय में गहरा आक्रोश है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह सिर्फ़ एक मूर्ति का अपमान नहीं है बल्कि दलित समुदाय की भावनाओं और उनके संघर्ष के प्रतीक पर हमला है। बिहार के खगड़िया जिले के एक साधारण दलित परिवार से निकलकर देश के प्रमुख नेताओं में शुमार होने वाले रामविलास पासवान दलित समुदाय के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। उनकी मूर्ति को नुकसान पहुँचाए जाने को सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
वही लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेताओं ने इस घटना की कड़ी आलोचना की है और आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग की है। चिराग पासवान ने भी इस घटना पर अपना गुस्सा और दुख व्यक्त किया है और इसे पूरे दलित समाज का अपमान बताया है।