मृत्यु अटल है…धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसे आज नहीं तो कल मरना ही है…किसी भी धर्म या समाज का व्यक्ति हो, मरने के बाद उसमे मिट्टी में ही मिलना है. हर धर्म में मृत्यु के बाद की प्रक्रिया अलग होती है, दाह संस्कार की प्रक्रिया अलग होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बौद्ध धर्म में दाह संस्कार की प्रक्रिया क्या है? मृत्यु के बाद बौद्ध समुदाय के लोगों को जलाया जाता है या दफनाया जाता है?
बौद्ध धर्म में दाह संस्कार की प्रक्रिया
अगर हम हिंदू धर्म की बात करें तो हिंदू धर्म में मृत शरीर का अंतिम संस्कार विधि विधान के साथ पार्थिव शरीर को जलाकर किया जाता है. सूर्यास्त से पहले दाह संस्कार की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है. दाह संस्कार के अगले दिन अस्थियों को एकत्रित कर उसे जल में बहा दिया जाता है. वहीं, इस्लाम में मृत शरीर को दफनाने की प्रक्रिया है. इसके अलावा सिख धर्म में मृत शरीर का दाह संस्कार किया जाता है, जबकि ईसाई धर्म के लोग मृत शरीर को दफनाने में विश्वास करते हैं.
दरअसल, दाह संस्कार की प्रक्रिया धर्म के हिसाब से बँटी हुई है लेकिन जगह के हिसाब से इसमें भी उतार चढ़ाव देखने को मिलते रहते हैं. जैसे पाकिस्तान के हिंदू शव को दफनाते हैं…तिब्बत के बौद्ध भिक्षु, मृत शरीर को बोटी बोटी काट कर, उसे आटे के घोल में घोलकर…पक्षियों को खिला देते हैं…वैसे ही अगर भारत में देखें तो बौद्ध धर्म के लोगों के मृत शरीर को जलाकर या दफनाकर यानी दोनों ही तरह से मृत शरीर को अंतिम विदाई जाती है.
इस धर्म में दोनों ही परंपरा को मान्यता प्रदान की गई है. इस धर्म में अंतिम संस्कार की जो परंपरा है, वह स्थानीय संस्कृति में चले आ रहे रीति रिवाजों के अनुसार ही कार्य करता है. वहीं, जब बौद्ध धर्म में मृत शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है, उस समय परिवार के लोगों के साथ बौद्ध भिक्षु भी मृत शरीर के सामने प्रार्थना करते हैं. अगर बौद्ध धर्म में मृत शरीर को जलाया जाता है तो उसके अगले दिन संस्कारित अवशेषों को परिवार के लोग इकठ्ठा कर अपने पास रखते हैं…या इसे नदी या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है.
वहीं, अगर बौद्ध धर्म के लोग मृत शरीर को दफनाने की प्रक्रिया को फॉलो करते हैं तो इसमें सबसे पहले मृत शरीर को ताबूत में रखा जाता है. उसके बाद परिवार के लोगों के साथ बौद्ध भिक्षु मृत शरीर के पास खड़े होकर प्रार्थना करते हैं. इसके बाद किसी खास जगह पर शरीर को दफना दिया जाता है. धर्म परविर्तन कर बौद्ध धर्म अपनाने वाले लोगों को भी ऐसी ही प्रक्रियाओं का पालन करना होता है.
आपको बता दें कि मृत शरीर को दफन करने के पीछे कई कारण बताए गए हैं. इसे अपनों से विदाई लेने का सबसे साफ एवं सुरक्षित तरीका बताया गया है क्योंकि मरने के बाद बॉडी को दफनाने से वह धीरे-धीरे मिट्टी में मिलकर प्राकृतिक रूप से खत्म हो जाता है. इससे वातावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है और किसी प्रकार का कोई प्रदूषण भी नहीं फैलता है. जबकि हिंदू समाज में अग्नि को देवता माना गया है. ऐसे में मृत शरीर को अग्नि को सुपुर्द कर दिया जाता है और यह प्रार्थना की जाती है अग्नि देव शरीर के पांच अहम तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश को अपने में ग्रहण कर लें और उन्हें एक नया जीवन प्रदान करें.