बौद्ध धर्म पर डॉ भीमराव अंबेडकर की 3 कालजयी रचनाएं, ये नहीं पढ़ा तो क्या पढ़ा!

Ambedkar Books on Buddhism
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Ambedkar Books on Buddhism – “अगर आप आत्मसम्मान चाहते हैं, तो धर्म बदलिए. अगर एक सहयोगी समाज चाहते हैं, तो धर्म बदलिए. अगर ताकत और सत्ता चाहते हैं, तो धर्म बदलिए. समानता. स्वराज और एक ऐसी दुनिया बनाना चाहते हैं, जिसमें खुशी खुशी जी सकें तो धर्म बदलिए.” 1935 में बाबा साहेब ने अपने भाषण में इन शब्दों को जोड़ते हुए हिंदू धर्म त्यागने का ऐलान कर दिया. हिंदू धर्म में व्याप्त रुढ़िवादी सोच, छुआछुत एवं अस्पृश्यता जैसी चीजों ने उन्हें अंदर तक तोड़ कर रख दिया था. दलितों की सामाजिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने धर्म त्यागने का फैसला किया.

हिंदू धर्म त्यागने के 21 सालों तक वो सभी धर्मों के बारे में पढ़ाई करते रहें…कई धर्मों को उन्होंने जाना, समझा…यहां तक कि इस्लाम, सिख और ईसाई धर्म के ठेकेदार तो उनके घर तक पहुंच गए थे..बावजूद इसके बाबा साहेब ने बौद्ध धर्म को चुना…सारे धर्मों में उन्हें बौद्ध धर्म ही ऐसा धर्म लगा, जिसमें ऊंच नीच और छुआछुत जैसी चीजें नहीं दिखी..यही कारण था कि 1956 में उनके साथ करीब 4 लाख दलितों ने बौद्ध धर्म को अपना लिया था…बौद्ध धर्म पर बाबा साहेब के विचार एकदम स्पष्ट थे. उन्होंने बौद्ध धर्म से जुड़ी कई किताबें भी लिखीं हैं, जिनमें से प्रमुख 3 किताबों के बारे में आज की वीडियो में हम आपको बताएंगे..

बुद्धा और कार्ल मार्क्स – Ambedkar Books on Buddhism

बौद्ध धर्म पर बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा लिखी गई पुस्तकों की सूची में पहले नंबर पर है बुद्धा और कार्ल मार्क्स. यह किताब 1956 में प्रकाशित हुई थी. दरअसल, कार्ल मार्क्स और भगवान बुद्ध के बीच 2381 साल का अंतर है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में हुआ था और कार्ल मार्क्स का जन्म 1818 ई. में हुआ था। कार्ल मार्क्स को एक नई विचारधारा,राजनीति और एक नई आर्थिक व्यवस्था का निर्माता माना जाता है. डॉ. अंबेडकर ने इन सभी बिंदुओं को जोड़कर और भगवान बुद्ध से तुलनात्मक अध्ययन करते हुए यह पुस्तक लिखी है।

द बुद्धा एंड हिज धर्मा – Ambedkar Books on Buddhism

हमारी इस सूची की दूसरी पुस्तक है द बुद्धा एंड हिज धर्मा. अगर आप भगवान बुद्ध के जीवन और बौद्ध धर्म के बारे में विस्तृत जानकारी चाहते हैं तो आपको डॉ. अंबेडकर की यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए। उन्होंने इसे अपने जीवन के आखिरी दिनों में लिखा था। यह पुस्तक उनकी मृत्यु के बाद 1957 में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक में बुद्ध से जुड़ी चर्चाएं, आत्मा का सिद्धांत, चार आर्य सत्य, कर्म और पुनर्जन्म और अंत में भिक्षु बनने की कहानी भी है।

हम बौद्ध क्यों बनें

Ambedkar Books on Buddhism – बौद्ध धर्म को लेकर बाबा साहेब द्वारा लिखी गई तीसरी पुस्तक है हम बौद्ध क्यों बनें. जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध धर्म को ही क्यों चुना था…उन्होंने उस दौर में करीब सभी धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया था..उन धर्मों में दलितों की स्थिति को देखी थी, जिसके बाद बौद्ध धर्म ही उन्हें छुआछुत रहित लगा और यही कारण था कि वो बौद्ध धर्म में शामिल हो गए. अपनी पुस्तक हम बौद्ध क्यों बनें…में उन्होंने इन्ही सारी चीजों को उकेरा है और साथ ही उन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि लोगों को बौद्ध धर्म की ओर क्यों जाना चाहिए. इन सारी चीजों को अगर आप बारीकी से समझना चाहते हैं तो बाबा साहेब की ये पुस्तक आपके लिए काफी काम की चीज है. आपको बता दें कि 1954 में नेपाल के काठमांडू में आयोजित विश्व बौद्ध परिषद में बौद्ध भिक्षुओं ने बाबा साहेब को बौद्ध धर्म की सर्वोच्च उपाधि बोधिसत्व भी दी थी.

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