चौथी पत्नी ही देती है साथ, भगवान बुद्ध ने ऐसा क्यों कहा था…

Bhagwan Buddha
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जब पूरे देश को ब्राह्मणवादियों ने जकड़ रखा था…हर ओर छुआछुत व्याप्त था…दलितों के चले रास्ते पर ब्राह्मण चलते तक नहीं थे…दलितों को थूकने के लिए अपने गले में हांडी लटकानी पड़ती थी…महिलाओं को स्तन ढंकने की आजादी नहीं थी…ब्राह्मणवादी नीतियों से समाज त्रस्त था…ऐसे समय में भगवान बुद्ध अंधेरे में रोशनी की तरह आए. उन्होंने एक ऐसे धर्म की स्थापना की जिसमें किसी से किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं था. ऐसे में ब्राह्मणवादी भगवान बुद्ध के भी पीछे पड़ गए. उनके उपदेशों को तोड़ा मरोड़ा और गलत तरीके से प्रचारित किया.

भगवान बुद्ध पर फैलाए गए ब्राह्मणवादी एजेंडे का पर्दाफाश

भगवान बुद्ध को अहिंसा, दया, करुणा और सकल विश्व को शांति का संदेश देने के लिए जाना जाता है. बुद्ध लोगों को जीवन की राह दिखाते हैं. उनका कहना था कि हर पुरुष की 4 पत्नियां होनी चाहिए लेकिन इसके पीछे उनका कॉन्सेप्ट काफी अलग था लेकिन ब्राह्मणवादियों ने इसे लेकर काफी गंध मचाया…चलिए उनकी कलई खोलते हैं..

दरअसल, अपने शिष्यों को 4 पत्नियों की कहानी बताते हुए गौतम बुद्ध कहते हैं कि एक आदमी था जिसकी 4 पत्नियाँ थी समय बीतने पर वो बीमार पड़ा तो उसे अपनी मौत दिखने लगी. जीवन के अंत में, वो बहुत अकेलापन महसूस करने लगा. उसने अपनी पहली पत्नी को बुलाया और उसे अपने साथ दूसरी दुनिया में चलने के लिए कहा. व्यक्ति ने कहा, ‘मेरी प्रिय पत्नी, मैंने तुम्हें सबसे ज्यादा प्रेम किया, हमेशा तुम्हारा ख्याल रखा. अब मैं मरने वाला हूं, तो क्या तुम मेरे साथ वहां चलोगी जहां मैं मृत्यु के बाद जाऊं?’

पहली पत्नी

इस पर पहली पत्नी ने जवाब दिया, ‘मेरे प्यारे पति, मुझे पता है कि आप हमेशा मुझसे प्यार करते थे और अब आपका अंत करीब है. ऐसे में अब आपसे अलग होने का समय आ गया है. अलविदा मेरे प्रिय.’

मृत शैय्या पर पड़े उस व्यक्ति ने अपनी दूसरी, तीसरी और चौथी पत्नी से भी वहीं सवाल किए. दूसरी पत्नी ने कहा, ‘प्रिय पति, आपकी पहली पत्नी ने आपकी मृत्यु के बाद आपका साथ देने से इनकार कर दिया तो फिर मैं भला आपके साथ कैसे जा सकती हूं? आपने तो मुझे केवल अपने स्वार्थ के लिए प्यार किया है.’

वहीं, तीसरी पत्नी ने कहा, ‘मेरे प्रिय, मुझे आप पर दया आ रही है और अपने लिए दुख हो रहा है. इसलिए मैं अंतिम संस्कार तक आपके साथ रहूंगी. आगे नहीं जा सकूंगी.’

लेकिन चौथी पत्नी की उस व्यक्ति ने ज्यादा परवाह नहीं की थी, उसके साथ हमेशा दासी जैसा बर्ताव किया, उसे फटकार लगाई थी…ऐसे में उस व्यक्ति ने सोचा कि अगर मैंने उससे चलने को कहा तो वह पक्का मना कर देगी. लेकिन फिर भी उसने अपनी चौथी पत्नी से साथ चलने की गुजारिश की. इस पर चौथी पत्नी ने जो कहा…उसे सुनकर आप आश्चर्य से भर जाएंगे. चौथी पत्नी ने कहा, मेरे प्यारे पति, मैं तुम्हारे साथ जाऊंगी. कुछ भी हो, मैं हमेशा आपके साथ रहने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं. मैं आपसे कभी अलग नहीं हो सकती.

भगवान बुद्ध द्वारा बताई गई 4 पत्नियों की कहानी यही है लेकिन इसे ब्राह्मणवादियों ने ऐसे प्रचारित किया कि भगवान बुद्ध 4 शादी के पक्षधर थे और भी तमाम चीजें फैलाई गई…जबकि इन 4 पत्नियों वाली बात के पीछे भगवान बुद्ध का कॉन्सेप्ट काफी अलग था. उन्होंने कहा, प्रत्येक पुरुष और महिला की चार पत्नियां या पति होते हैं और हर एक का खास मतलब होता है. पहली पत्नी या साथी हमारा शरीर होता है, जिसे हम दिन-रात प्यार करते हैं. सुबह के समय हम अपना चेहरा धोते हैं, कपड़े और जूते पहनते हैं. हम अपने शरीर को भोजन देते हैं. हम पहली पत्नी की तरह अपने शरीर का ख्याल रखते हैं लेकिन दुर्भाग्य से जीवन के अंत में, शरीर यानी पहली ‘पत्नी’ हमारे साथ अगली दुनिया में नहीं जा पाती है.

दूसरी पत्नी

वहीं, दूसरी पत्नी से भगवान बुद्ध का तात्पर्य था कि दूसरी ‘पत्नी’ हमारे भाग्य, भौतिक चीजों, धन, संपत्ति, प्रसिद्धि, पद और नौकरी को दर्शाती है. हम इन सभी भौतिक चीजों से काफी जुड़ाव महसूस करते हैं, जिसे पाने के लिए हमने कड़ी मेहनत की है. हम इन चीजों को खोने से डरते हैं और बहुत कुछ पाने की इच्छा रखते हैं लेकिन इनकी कोई सीमा नहीं है. जीवन के अंत में ये चीजें मृत्यु तक हमारा पीछा नहीं कर सकतीं. हमारे भाग्य ने जो भी इकठ्ठा किया है, उसे हमें छोड़ना ही होगा. हम इस दुनिया में खाली हाथ आए हैं और मृत्यु के समय भी हमारे हाथ खाली होते हैं. हम अपनी मृत्यु के बाद अपना भाग्य पकड़ कर नहीं रख सकते. जैसे दूसरी पत्नी ने अपने पति से कहा था, ‘तुमने अपने अहंकार और स्वार्थ के लिए सिर्फ मुझे अपने साथ रखा और अब अलविदा कहने का समय आ गया है.’

तीसरी पत्नी

जबकि तीसरी पत्नी को लेकर बुद्ध कहते हैं कि तीसरी पत्नी का अर्थ यहां हमारे नाते-रिश्तेदारों से है. यह हमारे माता-पिता, बहन और भाई, सभी रिश्तेदारों, दोस्तों और समाज की तरह है. वो आंखों में आंसू लिए हमारे साथ श्मशान घाट तक ही आ सकते हैं. वो हमारे लिए दुखी और उदास रहते हैं. इसलिए हम अपने शरीर, भाग्य और समाज पर निर्भर नहीं रह सकते. हम अकेले आते हैं और अकेले ही इस दुनिया से जाते हैं. मृत्यु के बाद कोई हमारा साथ नहीं दे सकता. जैसे तीसरी पत्नी ने अपने पति से कहा था कि ‘मैं अंतिम संस्कार तक आपके साथ रहूंगी. आगे नहीं जा सकूंगी.’

चौथी पत्नी

वहीं, चौथी पत्नी से भगवान बुद्ध का तात्पर्य था कि चौथी ‘पत्नी’ हमारा मन या चेतना है. जब हम गहराई से यह पहचान जाते हैं कि हमारा मन क्रोध, लालच और असंतोष से भरा हुआ है तो हम अपने जीवन को अच्छे नजरिए से देख पाते हैं. क्रोध, लोभ और असंतोष कर्म के नियम हैं. हम अपने कर्म से कभी पीछा नहीं छुड़ा सकते हैं. जैसा कि चौथी पत्नी ने अपने मरते हुए पति से कहा था, ‘तुम जहां भी जाओगे, मैं तुम्हारे पीछे चलूंगी.’

 

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