बौद्ध धर्म को दुखों की मुक्ति और निर्वाण प्राप्त करने का मार्ग बताया गया है. भगवान बुद्ध ने कहा है कि किसी भी तरह का सुख क्षणिक होता है…हर सुख अपने साथ ढ़ेर सारा दुख लेकर आता है…भगवान बुद्ध ने अपने आष्टांगिक मार्ग को सीढ़ी बताया है…जिसमें बोल चाल से लेकर रहन सहन जैसी तमाम बातें बताई गई हैं. लेकिन क्या आप दैनिक आचरण सिखाने वाले बौद्ध धर्म के 10 शील से परिचित हैं?
बौद्ध धर्म के 10 शील
- बौद्ध धर्म के पहले शील में अहिंसा के बारे में बताया गया है. इसमें बताया गया है कि किसी भी जीव की हत्या…वह बड़ा हो या छोटा हो…उनकी हत्या हिंसा है और इस हिंसा से सभी को बचना चाहिए…
- दूसरे शील में सत्य के बारे में बताया गया है. यह कहा गया है कि इंसान को कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए…परिणाम की अपेक्षा किए बिना इंसान को हमेशा सत्य के साथ खड़ा रहना चाहिए.
- तीसरे शील में अस्तेय के बारे में बताया गया है. अस्तेय का शाब्दिक अर्थ है चोरी नहीं करना. इस शील में अस्तेय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी गई है. इसमें बताया गया है कि कभी भी चोरी नहीं करना चाहिए. साथ ही इसमें यह भी बताया गया है कि कभी भी दूसरों की वस्तुओं पर नियत खराब भी नहीं करना चाहिए.
- बौद्ध धर्म के चौथे शील में अपरिग्रह के बारे में बताया गया है. इसमें संपत्ति के बारे में जानकारी दी गई है. इसमें यह बताया गया है कि हमें जितनी जरुरत हो उतनी ही संपत्ति रखे. आवश्यकता से अधिक संपत्ति रखना चोरी के समान है.
- पांचवा शील है ब्रह्मचर्य…बौद्ध धर्म अपने इस शील के माध्यम से व्यभिचार से बचने की सलाह देता है. काम इंसान का शत्रु है, जिससे जो जितना दूर रहेगा…उसका जीवन उतना ही सार्थकता की ओर जाएगा.
- बौद्ध धर्म का छठा शील हमें अविलासिता के बारे में बताता है. इसका सीधा मतलब है कि विलासी जीवन से दूर रहें. संगीत और नृत्य का त्याग करें एवं ध्यान करें.
- सातवां शील हमें सुखप्रद विस्तर पर न सोने की हिदायत देता है. इसका सीधा मतलब है कि हमें आरामदायक बिस्तर पर सोने से बचना चाहिए.
- आठवां शील हमें असमय भोजना का त्याग करने की प्रेरणा देता है. यह बताता है कि हमें तय समय पर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए. असमय भोजन ग्रहण करने का प्रभाव हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे मन मस्तिष्क के ऊपर भी पड़ता है.
- बौद्ध धर्म का नौंवा शील हमें मद्यपान या मदिरा से दूरी बनाए रखने की बातें बताता है. बौद्ध धर्म के अनुसार नशा ही सभी समस्याओं की जड़ है और हर इंसान को नशे से दूर रहना चाहिए.
- दसवां शील हमें कंचन कामिनी का त्याग करने की प्रेरणा देता है…बौद्ध धर्म का कहना है कि सोना तथा कामिनी यानी स्त्री संग का त्याग करें..