किन्नौर कैलाश से महात्मा बुद्ध का क्या है कनेक्शन

Kinnaur Kailash
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भारत में एक ऐसा धार्मिक स्थल है, जिस पर 3 अलग अलग धर्मों के अनुयायी अपना दावा ठोकते हैं. हिंदू धर्म के लोगों के लिए कैलाश पर्वत का महत्व युगों से है…कैलाश की मानसरोवर यात्रा को सबसे दुर्गम और पवित्र माना जाता है. कैलाश पर्वत पर हिंदू और बौद्घ धर्म के लोगों के मत काफी अलग नहीं हैं. हिंदू मानते हैं कि उस पर्वत पर भगवान शिव का निवास है तो वहीं बौद्ध धर्म भी कैलाश पर्वत पर अदृश्य शक्ति के होने से इनकार नहीं करता. लेकिन भारत-तिब्बत सीमा के नजदीक पार्वती कुंड के समीप स्थित किन्नौर कैलाश को लेकर हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में अलग अलग मान्यताएं हैं..यह स्थान हिंदुओं के लिए भी पवित्र है, बौद्धों के लिए भी पवित्र है और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी पवित्र है…आखिर क्या है किन्नौर कैलाश की कहानी..आज की वीडियो उसी मुद्दे पर…

किन्नौर कैलाश को मानसरोवर

हिंदू धर्म में किन्नौर कैलाश को मानसरोवर के बाद सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. यह हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है और पार्वती कुंड के काफी समीप है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव और देवी पार्वती किन्नौर कैलाश में निवास करते हैं। यह हिमालय में अलग-अलग स्थानों पर पाँच अलग-अलग चोटियों के समूह में चौथा सबसे महत्वपूर्ण शिखर है, जिन्हें सामूहिक रूप से पंच कैलाश या “पाँच कैलाश” के रूप में जाना जाता है, अन्य महत्व के मामले में पहले स्थान पर कैलाश पर्वत , दूसरे पर आदि कैलाश , तीसरे पर शिखर कैलाश और पांचवें स्थान पर मणिमहेश कैलाश हैं. किन्नौर कैलाश इस सूची का चौथा कैलाश है. इसीलिए हिंदू धर्म में इसकी मान्यता और बढ़ जाती है.

किन्नौर कैलाश का शिवलिंग 79 फिट ऊंचा है. अत्यधिक ऊंचाई पर होने के कारण किन्नौर कैलाश शिवलिंग चारों ओर से बादलों से घिरा रहता है. ये हिमाचल के दुर्गम स्थान पर स्थित है, इसलिए यहां पर ज्यादा लोग दर्शन के लिए नहीं आते हैं। किन्नर कैलाश का प्राकृतिक सौंदर्य मंत्र मुग्ध कर देने वाला है।

दरअसल, ये एक अखंड पत्थर है जो शिवलिंग और त्रिशूल जैसा लगता है। पहाड़ की चोटी पर ये बहुत अच्छी तरह से बैलेंस्ड है। इसकी एक और खास बात ये है कि शिवलिंग बार-बार रंग बदलता रहता है। मान्यता है कि इस शिवलिंग का रंग हर पहर में बदलता है। ये सुबह कुछ और रंग का दिखता है, दोपहर को सूरज की रौशनी में इसका रंग अललग दिखता है और शाम होते होते ये रंग फिर से अलग दिखने लगता है। ये तो रही किन्नौर कैलाश को लेकर हिंदू धर्म से जुड़ी हुई बातें…

अगर हम किन्नौर कैलाश के बौद्ध धर्म से कनेक्शन की बात करें तो इस स्थान पर बौद्ध धर्म भी अपना दावा ठोकता है. किन्नौर के अलग-अलग क्षेत्रों में बौद्ध परंपराओं की अलग अलग मान्यताएं हैं। यहां, ऊंचे इलाकों में सुंदर बौद्ध मठ बनाए गए हैं, जोकि देखने में काफी आकर्षक लगते हैं। यहां बौद्ध कला और साहित्य की एक समृद्ध परंपरा है। यहां ऐसे मठ भी हैं जो एक हजार साल से भी अधिक पुराने माने जाते हैं।

भागवान बुद्ध और किन्नौर कैलाश

बौद्ध धर्म के लोगों का मानना है कि महापरिनिर्वाण के बाद से ही भगवान बुद्ध किन्नौर कैलाश की चोटी पर रहते हैं. इसी वजह से हर साल सैकड़ों बौद्ध धर्म के अनुयायी दुर्गम रास्ते से किन्नौर कैलाश की यात्रा करते हैं. इसके अलावा, तिब्बत के दाओ अनुयायी कैलाश को पूरी दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र मानते हैं।

अगर हम किन्नौर कैलाश से जैन धर्म के कनेक्शन की बात करें तो जैन अनुनायियों का ये मानना है कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को आध्यात्मिक ज्ञान इसी स्थान पर प्राप्त हुआ था. इस वजह से किन्नौर कैलाश जैन धर्म के लोगों के लिए भी काफी महत्व रखता है. हालांकि, 3 धर्मों के दावे के बावजूद इस स्थान को लेकर कोई लड़ाई नहीं है. हर धर्म के लोग हर साल यहां पहुंचते हैं.

 

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