मैंने भी देखे हैं यहाँ हर रोज़ अलग-अलग चेहरे रंग-रूप में अलग बोली-बानी में अलग नहीं पहचानी जा सकती उनकी ‘जाति’ बिना पूछे मैदान में […]
Category: भीमरस
सब ठाकुरों का तो फिर अपना क्या ? जरूर पढ़िए ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ठाकुर का कुआं
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जन्में ओमप्रकाश वाल्मीकि को कौन नहीं जानता…वह दलित साहित्य के प्रख्यात रचनाकारों में से एक हैं. हिंदी में दलित साहित्य […]
हमारे गांव में दलित आज भी खूंटे से बंधा है जिसका एक पांव…
हमारे गाँव में भी कुछ हरि होते हैं कुछ जन होते हैं जो हरि होते हैं वह जन के साथ न उठते हैं न बैठते […]