बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में आज कई बड़े स्टार्स हैं जिन्होंने बॉलीवुड से लेकर साउथ की फिल्मों में धूम मचा राखी हैं. वही कुछ एक्टर्स ऐसे भी जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत साउथ की फिल्मों से ही हैं, लेकिन आज अपनी दमदार एक्टिंग की बदौलत बॉलीवुड फिल्मों में भी राज कर रहे हैं. एक ऐसे ही साउथ के दलित एक्टर “वेंकटेश प्रभु कस्तूरी राजा” जिन्होंने हिंदी सिनेमा में अपने एक्टिंग से धूम मचा रखी है, जिन्हें आज सिनेमा जगत में “धनुष” के नाम से जाना जाता है.
Who is Dalit Actor Dhanush
बॉलीवुड और साउथ स्टार धनुष ने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्मे दी हैं. एक्टर धनुष अनुसूचित जाति (SC) जाति से संबंध रखते हैं. धनुष एक्टर के अलावा सिंगर, डायरेक्टर, प्रोडूसर, कंपोजर हैं. धनुष का जन्म 28 जुलाई 1983 को मद्रास तमिलनाडु में हुआ था. इनके पिता का नाम कस्तूरी राजा है जो तमिल फिल्म डायरेक्टर और प्रोडूसर है. ऐसा कहा जाता है कि धनुष एक्टर नहीं बनना चाहते थे उनका सपना होटल मैनेजमेंट करके शेफ बनना था लेकिन उनके भाई ने उन्हें एक्टर बनने के लिए प्रेरित किया था.
धनुष ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत साल 2002 में अपने पिता द्वारा निर्देशित फिल्म “थुल्लुवाधो इलामाई” से की थी. साल 2003 में धनुष ने अपने भाई सेल्वाराघवन द्वारा निर्देशित फिल्म “काधल कोंडेइन” में काम किया था. इस फिल्म को लोगों ने काफी पसंद किया था जिसकी वजह से एक बड़ी सफ़लता हासिल हुई थी और फिल्म “काधल कोंडेइन” ने धनुष को सर्वश्रेष्ठ तमिल अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए पहला अवार्ड भी दिलवाया. इस फिल्म के बाद धनुष ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
कैसे मिली हिंदी फिल्मों में पहचान
तमिल फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद धनुष ने हिंदी फिल्मों में भी अपनी एक्टिंग से जलवा बिखेरा हैं. बॉलीवुड में उनकी डेब्यू फिल्म “रांझणा” थी. रांझणा फिल्म में धनुष ने कुंदन का किरदार निभाया था और इस किरदार को दर्शकों ने काफी पसंद किया था. और एक बार फिर धनुष सभी के दिलों पर छा गए थे. इसके अलवा उन्होंने एक सिंगर के तौर पर भी अपनी पहचान बनाई हैं. उनका फेमस सोंग “वाय दिस कोलावेरी डी” जो यूट्यूब पर छा गया था. इतना ही नहीं इस गाने से धनुष को इंटरनेशनल पहचान भी मिली थी. इस गाने ने सभी का मनोरंजन किया था बच्चे हो या बड़े हर किसी की जुबान पर ये गाना चढ़ा हुआ था.
आपको बता दें कि एक्टर धनुष ने अपनी फिल्मों के ज़रिये दलितों के मुद्दों को भी उठाया है. उनकी फिल्म “असुरन” में जिसमे वो दलित की भूमिका निभा रहे हैं. इस फिल्म में धनुष ने कमाल की एक्टिंग की हैं और इस फिल्म के लिए धनुष को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवार्ड भी मिला हैं.
क्या कहती हैं फिल्म “असुरन” की कहानी
इस फिल्म के अंतिम सीन में फिल्म का नायक धनुष अपने बेटे से कहते हैं कि “अगर जमीन होगी, तो कोई भी छीन लेगा. पैसा होगा, कोई भी लूट लेगा.. लेकिन अगर पढ़ा-लिखा होगा, तो कोई भी तुझसे कुछ नहीं छीन पाएगा.. अगर अन्याय से जीतना है तो पढ़. पढ़-लिखकर एक ताकतवर इंसान बन. नफ़रत हमें तोड़ती है, प्यार जोड़ता है. हम एक ही मिट्टी के बने हैं, लेकिन जातिवाद ने अलग कर दिया.
हम सबको इस सोच से उबरना होगा”. इस फिल्म में छोटी छोटी बात पर दलितों के साथ होने वाले उत्पीड़न को दिखाया गया है जैसे किस तरह एक दलित लड़की का सिर्फ चप्पल पहन लेने से गांव के कथित ऊंची जात वालों को इतना चुभता है कि उसके सिर पर वही चप्पल रखवाकर उसे पीटते हुए ले जाया जाता है. इस फिल्म में ये भी दिखाया गया है कि जब दलित अपनी जमीन के लिए आंदोलन करते हैं ते कैसे ऊंची जाति के लोग उनके घरों को जला देते हें.
“समाज सेवक” के रुप में धनुष
इसके अलावा धनुष समाज सेवा का काम भी करते हैं. जी हाँ, तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धनुष ने साल 2015 में दक्षिण भारत में बाढ़ और बारिश से प्रभावित लोगों को 5 लाख रुपये दान दिया था. आत्महत्या करने वाले 125 किसानों के परिवार को 50,000 रुपये की सहायता की थी. वहीँ, अगस्त 2013 में धनुष को पर्फ़ेटी इंडिया लिमिटेड ने सेंटर फ्रेश च्यूइंगम के लिए अपना ब्रांड एंबेसडर के रुप में घोषित किया था. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने साल 2012 में अर्थ आवर का समर्थन करने के लिए WWF INDIA के साथ काम किया था.