Top 5 Dalit Directors in Indian Cinema: भारतीय सिनेमा में दलित निर्देशकों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से दलितों की पीड़ा, संघर्ष और आकांक्षाओं को बड़े पर्दे पर उतारा है। तो चलिए आपको इस लेख में, भारतीय सिनेमा के उन शीर्ष 5 दलित फिल्म निर्देशकों के बारें में बताते हैं जिन्होंने अपनी फिल्मों से दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया है।
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टॉप 5 भारतीय सिनेमा के दलित डायरेक्टर (Top 5 Dalit Directors in Indian Cinema)
पा रंजीत (Pa ranjith) – फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा से ही कुछ परिवारों का वर्चस्व रहा है…बॉलीवुड से लेकर मॉलीवुड और कॉलीवुड तक…हर इंडस्ट्री में स्थिति कुछ ऐसी ही है…लेकिन इसके बावजूद कई स्टार ऐसे हुए, जिन्होंने तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए अपने दम पर अपनी पहचान बनाई और वह कर दिखाया, जो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था… देश के पहले स्टार दलित फिल्ममेकर पा रंजीथ भी उन्हीं में से एक हैं. जो पिछले लंबे समय से अपनी फिल्मों के माध्यम से जातिगत उत्पीड़न और भेदभाव को उजागर कर रहे हैं…हाल ही में उनकी चियान विक्रम स्टारर फिल्म थंगलान रिलीज हुई है, जो जातिगत संघर्ष को दिखाती है.
फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल (Shyam Benegal) – श्याम बेनेगल ने अपनी फिल्मों के माध्यम से ग्रामीण भारत और दलितों के जीवन पर गहन अध्ययन किया। उनकी फिल्में जैसे ‘अंकुर’, ‘मंथन’ और ‘समर’ दलितों के सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को उजागर करती हैं। श्याम बेनेगल ने भारतीय सिनेमा के “नई धारा” (New Wave) का हिस्सा बने और उनकी फिल्में हमेशा भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। वे आम तौर पर अपनी फिल्मों में सामाजिक मुद्दों, पारंपरिक और आधुनिकता के बीच के संघर्ष, और भारतीय जीवन के जटिल पहलुओं को उजागर करते हैं। इसके अलवा श्याम बेनेगल को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रमुख पद्मश्री (1976) साल 2005 में पद्मभूषण, वही राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (बेस्ट निर्देशक) कई बार और फिल्मफेयर अवार्ड हैं ।
फिल्म निर्देशक मनीष झा (Manish jha) – मनीष झा भारतीय फिल्म निर्देशक, निर्माता और लेखक हैं। वे हिंदी सिनेमा के महत्वपूर्ण फिल्म निर्माताओं में से एक माने जाते हैं। मनीष झा ने अपनी फिल्मों के माध्यम से गहरे और विचारशील विषयों को उठाया है, और वे आमतौर पर सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक मुद्दों पर आधारित फिल्में बनाते हैं। मनीष झा ने अपनी फिल्मों में दलितों के साथ-साथ महिलाओं के मुद्दों को भी उठाया है। उनकी फिल्म ‘मातृभूमि’ दलित महिलाओं के उत्पीड़न को दर्शाती है।
फिल्म निर्देशक गौरी शिंदे (Gauri Shinde) – जानीमानी विज्ञापन और फीचर फिल्म डायरेक्टर गौरी शिंदे उन्होंने दलित महिलाओं के मुद्दों पर आधारित कई लघु फिल्में बनाई हैं। गौरी शिंदे ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत विज्ञापन उद्योग से की थी, लेकिन बाद में उन्होंने फिल्म निर्देशन में अपना भाग्य आजमाया। उनकी पहली फिल्म “English Vinglish” थी जो साल (2012) में रिलीज़ हुई। गौरी शिंदे की यह सबसे चर्चित और सफल फिल्म थी, इस फिल्म में स्रीदेवी ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म की कहानी एक भारतीय गृहिणी की थी जो अंग्रेजी बोलने में असमर्थ होती है, और यह उसके आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को बढ़ाने के सफर को दिखाती है। फिल्म को समीक्षकों द्वारा बहुत सराहा गया और यह स्रीदेवी के करियर की एक महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। “English Vinglish” को न केवल भारत, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया।
फिल्म निर्देशक नीरज घेवान (Neeraj Ghaywan) – फिल्म डायरेक्टर नीरज घेवान का जन्म 1983 में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गृह नगर से प्राप्त की और फिर फिल्म निर्माण में रुचि होने के कारण अपनी आगे की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से की। इसके बाद, उन्होंने एफटीआईआई (फिल्म और टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया), पुणे से फिल्म निर्देशन में अपनी शिक्षा पूरी की। वही अगर नीरज घेवान के करियर की बात करें तो उन्होंने अपने फिल्मी यात्रा की शुरुआत शॉर्ट फिल्मों और छोटे प्रोजेक्ट्स से की थी, लेकिन 2015 में उनकी पहली फीचर फिल्म “मसान” ने उन्हें सिनेमा की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।