Tribals in Betul: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के कढई गांव के 23 आदिवासी परिवारों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है। इन परिवारों का कहना है कि अब उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं है, क्योंकि प्रशासन ने उनसे वह जमीन वापस ले ली है, जो उन्हें 21 साल पहले ‘हरियाली खुशहाली योजना’ (Hariyali Khushhali Yojana) के तहत दी गई थी।
लकड़ी क्लस्टर परियोजना बनी वजह (Tribals in Betul)
उद्योग विभाग कढई गांव के पास 20 हेक्टेयर जमीन पर लकड़ी क्लस्टर परियोजना विकसित कर रहा है। इस परियोजना में फर्नीचर उद्योग से जुड़ी कई छोटी-बड़ी इकाइयां स्थापित की जाएंगी। इसके लिए प्रशासन ने उन 23 परिवारों से वह जमीन वापस ले ली, जो उन्हें 2003 में दी गई थी। परिवारों का कहना है कि यह जमीन उनकी आजीविका का मुख्य साधन थी और इसके छिन जाने से उनका जीवन-यापन मुश्किल हो गया है।
प्रशासन का रुख
प्रशासन का कहना है कि इन परिवारों की मांग अनावश्यक है, क्योंकि इनके पास जमीन के मालिकाना हक का कोई वैध दस्तावेज नहीं है। इसके अलावा ये परिवार कोर्ट में केस भी हार चुके हैं। प्रशासन का मानना है कि परियोजना क्षेत्र के विकास के लिए यह कदम जरूरी था।
हरियाली खुशहाली योजना क्या है? – Tribals in Betul
वर्ष 2003 में इन 23 परिवारों को हरियाली खुशहाली योजना के तहत दो-दो हेक्टेयर जमीन दी गई थी। इस योजना का उद्देश्य आदिवासी परिवारों को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें स्थायी आजीविका प्रदान करना था। लेकिन अब जब उनसे यह जमीन वापस ले ली गई है तो परिवारों का कहना है कि उनके पास न तो कोई दूसरा रोजगार है और न ही भविष्य के लिए कोई सुरक्षा।
परिवारों की दुर्दशा
पीड़ित परिवारों का कहना है कि जमीन छिन जाने के बाद उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। इस स्थिति से हताश होकर उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। उनका तर्क है कि अगर उनकी आजीविका के साधन छीन लिए गए तो जीने का कोई मतलब नहीं है।
एक बड़ा सामाजिक और प्रशासनिक सवाल
यह घटना न केवल आदिवासी समुदाय की दुर्दशा को उजागर करती है, बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि विकास परियोजनाओं की कीमत पर लोगों के अधिकारों और आजीविका की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। Tribals in Betul.
इस घटना ने स्थानीय प्रशासन, सरकार और समाज के सामने एक गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। यह जरूरी है कि इन परिवारों को आजीविका के वैकल्पिक साधन मुहैया कराए जाएं और उनकी स्थिति का उचित समाधान निकाला जाए, ताकि वे नई उम्मीद के साथ अपने जीवन को आगे बढ़ा सकें।