UP Meerut Baraat Controversy: आगरा और बुलंदशहर में हाल ही में हुई दो घटनाओं में दलित दूल्हों को उनके शादी के घोड़ों से उतरने के लिए मजबूर किया गया और इस तरह उनकी बारात में बाधा उत्पन्न की गई। वही पीड़ितों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराई। तो चलिए अब हम आपको इस लेख में इन दो मामलों के बारे में बताते हैं।
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जानें क्या है पूरा मामला ?
दलितों पर अत्याचार भारत में एक गंभीर सामाजिक समस्या है। दलितों को सदियों से जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता रहा है। आज भी उन्हें कई तरह के अत्याचारों का सामना करना पड़ता है, कभी उन्हें शिक्षा, रोजगार और आवास जैसे बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा जाता है। कभी-कभी उन्हें सामाजिक बहिष्कार और हिंसा का सामना करना पड़ता है। जी हां, ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है जहां आगरा के धनौली में एक दलित दूल्हे की बारात पर बदमाशों ने हमला कर दिया।
दूल्हे को घोड़े से नीचे खींच लिया गया और जातिगत आधार पर गाली-गलौज की गई। हमलावरों ने दूल्हे के परिवार के सदस्यों के साथ भी मारपीट की और डॉ. बीआर अंबेडकर और भगवान बुद्ध के पोस्टर फाड़ दिए। पुलिस ने घटना के सिलसिले में तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। दूल्हे के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराई और उन्हें डर के मारे शादी करने के लिए मजबूर किया गया।
दुल्हे पर तानी बंदूक
इस घटना के बारे में दूल्हे के पिता ने कहा, ‘मेरे बेटे विशाल की बारात निकल रही थी। तभी कुछ लोग आए और बैंड बजाने से रोक दिया। फिर उन्होंने वीडियोग्राफी भी बंद कर दी। उन्होंने मेरे बेटे पर बंदूक तान दी। उन्होंने कहा कि वे बारात को यहां से नहीं जाने देंगे।’ जिसके बाद पुलिस की निगरानी में बारात निकली लेकिन मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वही ऐसी ही एक घटना बुलंदशहर में भी घटित हुई जिसमें बारात को ऊंची जाति के लोगों ने रोक दिया। दूल्हे को घोड़ी से उतार दिया गया और बारातियों की पिटाई की। डीजे बजाने पर उपद्रवियों ने झगड़ा किया और बारात में खलल डाला। पुलिस ने इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने समय रहते कार्रवाई नहीं की और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा भी नहीं दी।
दलित समुदाय में आक्रोश
यहां यह बात गौर करने लायक है कि इन दोनों घटनाओं के बाद दलित समुदाय में गुस्सा है। उन्होंने इन घटनाओं की निंदा की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने इन मामलों की जांच शुरू कर दी है और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इन घटनाओं ने एक बार फिर जातिवाद के मुद्दे को सामने ला दिया है और समाज में दलितों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ये घटनाएं समाज में जाति आधारित भेदभाव की समस्या को रेखांकित करती हैं। सरकार और पुलिस को दलितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।