FIR against IIM Bangalore : हाल ही में बीते दिन बेंगलुरु पुलिस ने शुक्रवार को भारतीय प्रबंधन संस्थान आईआईएम (IIM) बेंगलुरु के निदेशक ऋषिकेश टी कृष्णन, डीन (संकाय) दिनेश कुमार और छह अन्य संकाय सदस्यों के खिलाफ एक दलित एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ जातिगत भेदभाव के आरोप में एफआईआर (FIR) दर्ज की।
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आईआईएम बेंगलुरु के खिलाफ एफआईआर
हाल ही में बेंगलुरू पुलिस ने 20 दिसंबर को जाति आधारित भेदभाव के आरोपों के बाद आईआईएम बेंगलुरू के निदेशक ऋषिकेश टी कृष्णन, डीन (संकाय) और छह अन्य संकाय सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया। नागरिक अधिकार प्रवर्तन निदेशालय (डीसीआरई) द्वारा की गई जांच में दलित विद्वान एसोसिएट प्रोफेसर गोपाल दास द्वारा लगाए गए जाति आधारित उत्पीड़न के आरोपों की पुष्टि होने के बाद एफआईआर दर्ज की गई।
26 नवंबर को नागरिक अधिकार प्रवर्तन निदेशालय (डीसीआरई) Directorate of Civil Rights Enforcement (DCRE) की जांच के बाद 9 दिसंबर को जारी किए गए कर्नाटक समाज कल्याण विभाग (केएसडब्ल्यूडी) Karnataka Social Welfare Department (KSWD) के निर्देश पर माइको लेआउट पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें संस्था को जाति आधारित बताया गया था। जिसमें गोपाल दास को उत्पीड़न और समान अवसर से वंचित करना। वही मई में गोपाल दास ने कर्नाटक समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव पी. मणिवन्नन को अपनी शिकायत भेजी और आरोप लगाया कि डीसीआरई द्वारा जांच शुरू करने के बाद उत्पीड़न बढ़ गया।
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DCRE की जांच
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) अरुण चक्रवर्ती के नेतृत्व में DCRE की जांच नवंबर में पूरी हुई। समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में जाति आधारित उत्पीड़न और कार्यस्थल पर बहिष्कार के महत्वपूर्ण सबूत मिले। इसमें ऋषिकेश कृष्णन पर संस्थान में प्रसारित एक बड़े पैमाने पर ईमेल में गोपाल दास की जाति का सार्वजनिक रूप से खुलासा करने का आरोप लगाया गया। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि ऋषिकेश और डीन दिनेश कुमार ने गोपाल दास को पेशेवर गतिविधियों में समान अवसरों से वंचित किया। वही रिपोर्ट में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों की शिकायतों के समाधान के लिए संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए वैधानिक दायित्वों का पालन करने में आईआईएम-बी की विफलता पर प्रकाश डाला गया।
निष्कर्षों के जवाब में, कर्नाटक समाज कल्याण विभाग ने 9 दिसंबर को बेंगलुरु आयुक्त को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 2015 के तहत आईआईएम-बी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया।