Bihar news : हाल ही में बिहार के वैशाली के एक कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय से खबर सामने आई हैं जिसमें अधिकारियों की लापरवाही के कारण 80 छात्राओं को एक कमरे में ठूस दिया गया। यह घटना मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा से पहले हुई, जिससे अधिकारियों की नाकामी और मानवाधिकारों का उल्लंघन दिखाई देता है। दरअसल, यहाँ मुख्यमंत्री के आगमन से पहले स्कूल में चल रहा मेंटेनेंस कार्य। इन ताबड़तोड़ तैयारियों के बीच छात्रावास में अफरातफरी का माहौल है। जब मीडिया के कैमरों पर यह मामला उजागर हुआ, तो मौके पर मौजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी भड़क उठे।
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एक कमरे में ठूस दी गयी 80 छात्राएं
दरअसल, बिहार राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों बिहार में यात्रा पर है। जिला दर जिला नीतीश कुमार अपनी प्रगति यात्रा पर निकले है। मकसद है गांव देहात में सरकारी योजनाओ और हालात की जमीनी हकीकत जानना और उसकी प्रगति का रिपोर्ट देखना। लेकिन यहाँ हो रहा है की CM के जमीनी हकीकत देखने से पहले ही अधिकारी पूरी की पूरी जमीन बदलने में जुटे है। जी हाँ, अपनी यात्रा के दौरान आने वाली 28 दिसंबर 2024 को मुख्यमंत्री नितीश कुमार वैशाली पहुंचेंगे और वैशाली में विकास योजनाओ की प्रगति और जमीनी हकीकत से रूबरू होंगे। मुख्यमंत्री वैशाली के पटेढ़ी बेलसर पहुंचेंगे जहाँ सबसे पहले बेलसर स्थित स्कूल और स्कूल कैम्पस में स्थित कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय में बच्चियों के छात्रावास का दौरा करेंगे। साथ ही हालात का भी जायजा लेंगे। लेकिन मुख्यमंत्री के आने से पहले अधिकारी यहाँ जमीन से लेकर आसमान तक बदलने में जुटे हुए है।
कस्तूरबा विद्यालय के इस छात्रावास की दीवारों के रंगरोगन से लेकर कमरों में नए नए पंखे सेट किये जा रहे है। छात्रावास में बड़ी बड़ी LED और सोलर लाइट लगाने की तैयारी चल रही है। कक्षाओ के अंदर और बाहर ताबड़तोड़ रिपेयरिंग चल रही है तो कई के पुराने फर्श को उखाड़ चमचमाती टाइल्सों को फिट किया जा रहा है। यानी जिस जमींनी हकीकत को देखने और समंझने को मुख्यमंत्री अपनी यात्रा पर पहुंचेंगे। उससे पहले अधिकारी पूरी जमीन को ही बदलने में जुटे है। लेकिन इस सब के बीच संवेदनहीनता, लापरवाही और जो शर्मनाक तस्वीर सामने आई। वो ये की सीएम को अच्छा फील कराने के लिए अधिकारियों ने छात्रावास की लड़कियों को अलग अलग कमरों से निकाल एक कमरे में बंद करा दिया है।
अधिकारियों की शर्मनाक करतूत आई सामने
इस मामले में बताया जा रहा है कि अधिकारियों ने प्रशासनिक तैयारियों के नाम पर 80 छात्राओं को एक छोटे से कमरे में रख दिया, जिससे उन्हें असुविधा हुई। कमरे में इतनी अधिक संख्या में छात्राओं का ठूसना, उनके अधिकारों और आराम के लिए खतरनाक साबित हुआ। वही कक्षाओ के अलग अलग कमरों में फर्श से लेकर छत को चकाचक करने के ताबड़तोड़ इंतजाम के लिए छात्रावास की लड़कियों के गद्दे और सामान छात्रावास के छत पर फिकवा दिया गया तो रसोई को खुले में शिफ्ट करा दिया गया है। चकाचक इंतजाम जल्द तैयार हो जाए। इसके लिए छात्रावास के कमरों से बच्चियों को निकाल एक कमरे में डाल दिया गया। जहाँ ये बच्चिया भेड़ बकरियों की तरह बंद नजर आई। हालात और इंतजाम में छात्रावास में अफरा तफरी का आलम बना है।
अधिकारियों के इस शर्मनाक करतूत की जब कलई खुलने लगी तो मौके पर मौजूद शिक्षा महकमे के अधिकारी भड़क गए। लेकिन सवाल जब हालात और छात्रावास की 80 से ज्यादा दलित महादलित बच्चियों को भेड़ बकरियों की तरह एक कमरे में बंद करने को लेकर हुआ तो अधिकारी बंगले झाँकने लगे। अपनी शर्मनाक करतूत से जुडी सवाल का अधिकारियों के पास कोई जबाब नहीं मिला। लेकिन सवाल कई है जिसका जबाब सिस्टम को देना होगा।
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