Sudhanshu Trivedi Controversy: सुधांशु त्रिवेदी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक प्रमुख नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। वे भारतीय राजनीति में अपने तर्कसंगत विचारों और संवाद कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं। इसके अतिरिक्त, वे पार्टी की विचारधारा और नीतियों के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न मंचों का उपयोग करते हैं, और एक समर्पित पार्टी कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है सुधांशु त्रिवेदी महिलाओ के प्रति किस तरह की सोच रखते हैं. अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते है.
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सुधांशु त्रिवेदी महिलाओ के प्रति सोच
भारतीय जनता पार्टी (BJP) का महिला सशक्तिकरण और महिला अधिकारों के प्रति दृष्टिकोण समय-समय पर विभिन्न पहलुओं से जुड़ा रहा है। बीजेपी ने अपने शासन में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कुछ योजनाओं और नीतियों की घोषणा की है, लेकिन इसके साथ ही आलोचकों का कहना है कि पार्टी का असली रिकॉर्ड महिलाओं के प्रति अपने दृष्टिकोण में मिश्रित है। वही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक प्रमुख नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का संबंध उत्तर प्रदेश से है, और वे भाजपा के सक्रिय सदस्य रहे हैं। वे भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं और कई बार विभिन्न मुद्दों पर मीडिया में पार्टी का पक्ष रखते हैं। वे अक्सर टीवी चैनलों पर बहसों में भाग लेते हैं और भाजपा के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है सुधांशु त्रिवेदी महिलाओ के प्रति किस तरह की सोच रखते हैं.
आपको बता दें , हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक प्रमुख नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को news इंडिया के डिबेट शो में देखा गया है जहाँ सुधांशु त्रिवेदी महिलाओ को लेकर विवादित बयान देते नजर आये हैं, दरअसल उनका ये विवादित बयान लोकसभा के पूर्व सदस्य रही फूलन देवी को लेकर था. जहाँ वो कहते है कि “फूलन देवी डाकैत थी” जिसका विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता राजकुमार भाटी कहते है “फूलन देवी एक रेप पीड़ित महिला थी, 20 लोगों ने उसका रेप किया था “. “जिसके बाद राजकुमार भाटी ये भी कहते है कि एक महिला प्रति इतनी नफ़रत क्यूंकि वो दलित समाज से आती है.” जिसके बाद से ये विडियो सोशल मीडिया पर काफी तेज़ी से वायरल हो रहा है.
क्या था बेहमई नरसंहार? – Sudhanshu Trivedi Controversy
फूलन देवी की जिंदगी में सबसे अहम मोड़ तब आया जब उनका अपहरण किया गया और उन्हें एक डाकू गिरोह में शामिल किया गया। कहा जाता है कि उन्हें शारीरिक और मानसिक शोषण का सामना करना पड़ा, खासकर उस समय के एक प्रमुख डाकू बानमती यादव द्वारा। इसके बाद फूलन देवी ने बदला लेने की इच्छा से एक डाकू की तरह अपना जीवन शुरू किया। जिसके बाद फूलन देवी ने बानमती यादव और उनके गिरोह से बदला लेने के लिए कई हमले किए। 1981 में, उन्होंने मध्य प्रदेश के बांदा जिले में एक कुख्यात घटना को अंजाम दिया, जिसमें 22 ठाकुरों को मौत के घाट उतारा गया। इसे “बांदा नरसंहार” कहा जाता है और इसे भारतीय इतिहास में एक काले धब्बे के रूप में देखा जाता है। इस घटना के बाद फूलन देवी एक प्रमुख डाकू के रूप में पहचानी जाने लगीं।