Basti news: हाल ही में उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क और बहुजन मुक्ति पार्टी ने डीएम को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क (बीआईएन) ने दलित नेताओं पर दर्ज मामलों के खिलाफ चेतावनी दी है। बीआईएन का कहना है कि अगर एक हफ्ते के अंदर मामले वापस नहीं लिए गए तो वे देशव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। तो चलिए इस लेख में आपको पूरा मामला बताते हैं।
और पढ़े: बौद्ध विरासत (Buddhist Heritage) से जुड़ी ये बातें हर किसी को जाननी चाहिए?
जानें क्या है पूरा मामला?
हाल ही में कुछ दलित नेताओं के खिलाफ विभिन्न मामलों में मुकदमे दर्ज किए गए हैं। बीआईएन का आरोप है कि ये मुकदमे दलित समुदाय के नेताओं को परेशान करने और उनकी आवाज दबाने के लिए दर्ज किए गए हैं। बीआईएन का यह भी कहना है कि ये मुकदमे झूठे और निराधार हैं।
दरअसल, डीएम को संबोधित ज्ञापन एसडीएम (SDM) सदर शत्रुघ्न पाठक को दिया गया। ज्ञापन में कहा गया कि आढ़तिया और नंदवंशी पिछड़े और दलित समाज के हक के लिए लगातार काम कर रहे हैं। संगठन का आरोप है कि प्रशासन ने इन नेताओं के खिलाफ साजिश कर फर्जी मुकदमा दर्ज कराया है। जिसके बाद 23 मार्च 2025 को एक अखबार ने खुलासा किया कि वाल्टरगंज थाना क्षेत्र के परसा जागीर गांव के इन दो नेताओं और चार अन्य के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। संगठन ने इसे राजनीतिक साजिश बताया है।
और पढ़े: Gujarat: महाबोधि महाविहार मुक्ति को लेकर गुजरात में आंदोलन तेज, स्वयं सेवक उतरे सड़कों पर
बीआईएन की मांगें
बीआईएन ने सरकार से मांग की है कि दलित नेताओं पर दर्ज सभी मामले तुरंत वापस लिए जाएं। बीआईएन ने सरकार से यह भी मांग की है कि दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। गौरतलब है कि बीआईएन ने सरकार को एक हफ्ते का समय दिया है। अगर इस अवधि में मामले वापस नहीं लिए गए तो बीआईएन देशव्यापी आंदोलन शुरू करेगी। बीआईएन ने कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
दलित समुदाय में आक्रोश
- दलित समुदाय के लोग इन मामलों से नाराज हैं।
- उनका कहना है कि सरकार दलित समुदाय के नेताओं को निशाना बना रही है।
- दलित समुदाय के लोग बीआईएन के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया
आपको बता दें, सरकार ने अभी तक बीआईएन की मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, कुछ सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि वे मामलों की जांच कर रहे हैं। सरकार ने यह भी कहा है कि वह दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।