Chikkamagaluru Dalit News: यह वाकया एक छोटे से गाँव या शहर में घटित हुआ है, जहाँ कुछ उच्च जाति के लोग दलितों द्वारा मंदिर में प्रवेश किए जाने से नाराज हो गए। इस तरह की घटनाएँ भारतीय समाज में जाति-व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव से जुड़ी हुई हैं, जो लंबे समय से जारी हैं। वही, चिकमंगलूर तालुका के नरसीपुर गांव में स्थित तिरुमाला मंदिर में पिछले तीन दिनों से ऊंच जाति के लोगों ने दैनिक प्रार्थना बंद कर दी है। कथित तौर पर उन्होंने मंदिर में अनुसूचित जाति के दो युवकों के प्रवेश पर आपत्ति जताई है।
तिरुमाला मंदिर में दैनिक प्रार्थना बंद
हाल ही में नया विवाद सामने आया हैं चिकमंगलूर तालुका के नरसीपुर गांव में स्थित तिरुमाला मंदिर में पिछले तीन दिनों से विशेषाधिकार प्राप्त जाति के लोगों ने दैनिक प्रार्थना बंद कर दी है। दरअसल 250 घरों वाले इस गांव में कुरुबा समुदाय के लोग की संख्या काफी ज़्यादा हैं। वही अनुसूचित जाति के हेमंत और मधु के मंदिर में प्रवेश करने के बाद मंगलवार को उन्होंने रोज़ाना की प्रार्थना बंद कर दी। तब से पुजारी और दूसरे श्रद्धालुओं ने मुजराई विभाग द्वारा प्रबंधित मंदिर में जाना बंद कर दिया है। Chikkamagaluru Dalit News.
इलाके के अधिकारियों ने मंदिर में प्रवेश के मुद्दे पर चिकमंगलूर तालुक के नरसीपुर के ग्रामीणों से बातचीत की और उन्हें चेतावनी दी कि उनके आदेशों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वही मुजराई विभाग ने इससे पहले सभी मंदिरों में बोर्ड भेजकर संदेश दिया था कि वे सभी के लिए खुले हैं और छुआछूत करना कानून के खिलाफ है। हालांकि, ग्रामीणों ने कई महीनों तक बोर्ड नहीं लगाया था। दलितों के मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध से परेशान युवाओं ने चिकमंगलूर के तहसीलदार को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि बोर्ड लगाया जाए और मंदिर को सभी के लिए खोला जाए।
और पढ़े : बाबा साहेब की ये बातें आज तक छिपाई गई हैं!
समाज कल्याण विभाग – Chikkamagaluru Dalit News
मंगलवार को तहसीलदार सुमंत मंदिर गए और सुनिश्चित किया कि हेमंत और मधु उनकी मौजूदगी में मंदिर में जाएं। हालांकि, ग्रामीणों ने मंदिर की चाबियाँ वापस लेने से इनकार कर दिया और तब से दैनिक पूजा-अर्चना बंद कर दी। मुजराई विभाग और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने गुरुवार को गांव का दौरा किया और अधिकारियों ने निवासियों से बातचीत की साथ ही ग्रामीणों से कहा कि किसी भी तरह का भेदभाव करने पर कार्रवाई की जाएगी.
और पढ़े : गांव को दलितों का बूचड़खाना क्यों मानते थे अंबेडकर?