देश के पहले दलित अरबपति: राजेश सरैया की प्रेरणादायक कहानी, विदेश में खड़ी की खुद की स्टील कंपनी .

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Dalit billionaire Rajesh Saraiya: देश के पहले दलित अरबपति राजेश सरैया एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं, जिनकी कहानी संघर्ष, लगन और सफलता की मिसाल है। उत्तर प्रदेश के एक साधारण दलित परिवार में जन्मे सरैया ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से नई ऊंचाइयों को छुआ। आज वह भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के जाने-माने उद्यमियों में से एक हैं। राजेश का कारोबार भारत के बाहर यूक्रेन, रूस, जर्मनी, इस्तांबुल, दुबई और तियानजिन जैसे कई देशों में फैला हुआ है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

उत्तर प्रदेश के सीतापुर के पास एक गांव सरैया सानी में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे राजेश सरैया दलित परिवार से थे, इसलिए उन्हें समाज में कई बार भेदभाव और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। हालांकि, उनके पिता नाथराम ने शिक्षा को प्राथमिकता दी और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। राजेश सरैया की शुरुआती शिक्षा देहरादून में हुई। इसके बाद उन्होंने रूस में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में स्टील मॉन्ट की शुरुआत की।

उद्यमिता में प्रवेश –Dalit billionaire Rajesh Saraiya

विदेश में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने उद्यमिता की राह चुनी और अपनी खुद की कंपनी की स्थापना की। राजेश सरैया यूक्रेन की कंपनी SteelMont के सीईओ हैं (Steel Mont Trading Ltd CEO Rajesh Saraiya)। स्टीलमोंट की वेबसाइट के अनुसार, कंपनी का मौजूदा टर्नओवर 350 मिलियन डॉलर (करीब 26.64 अरब रुपए) है। उनकी कंपनी मेटल सेक्टर में काम करती है। खबरों की मानें तो इस कंपनी से उनकी कमाई 1200 करोड़ रुपए है।

स्टील इंडस्ट्री में सफलता

राजेश सरैया (Rajesh Saraiya) की कंपनी मुख्य रूप से एविएशन और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए स्टील बनाती है। इसका मुख्यालय डसेलडोर्फ (जर्मनी) में है, यह स्टील ट्रेडिंग, उत्पादन, कमोडिटीज और शिपिंग से संबंधित है। इसके लंदन, कीव, मॉस्को, इस्तांबुल, दुबई, मुंबई और तियानजिन में कार्यालय हैं। उनकी कंपनी भारत और यूरोप में स्टील की एक बड़ी आपूर्तिकर्ता बन गई है। उनके काम की गुणवत्ता और समय पर डिलीवरी ने उन्हें कई बड़े क्लाइंट्स से जोड़ा और उनकी कंपनी को वैश्विक स्तर पर एक अलग पहचान दिलाई।

भारत में बसने की योजना बना रहे राजेश

राजेश सरैया का मानना ​​है कि शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण से ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है। भले ही आज वे बड़े-बड़े देशों में कारोबार कर रहे हों, लेकिन उनका दिल आज भी भारत से जुड़ा हुआ है। मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में राजेश ने बताया था कि वे जल्द ही भारत में फूड प्रोसेसिंग का कारोबार शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

पुरस्कार और सम्मान

सरैया की कड़ी मेहनत और समाज सेवा के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2014 ‘पद्म श्री’ से भी सम्मानित किया गया है (Rajesh Saraiya awarded with Padma Shri)। इसके अलावा उन्हें 2012 में प्रवासी भारतीय पुरस्कार मिल चुका है। वह DICCI (Dalit Indian Chamber of Commerce and Industry) के सदस्य हैं।

प्रेरणा का स्रोत

राजेश सरैया की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो समाज में किसी भी तरह की बाधाओं का सामना कर रहे हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है। राजेश सरैया का सफर न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता की कहानी है बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति की तरह भी है, जो समाज में फैली असमानता को खत्म करने का प्रयास करती है। उनका जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो समाज के किसी भी वर्ग में भेदभाव और असमानता का सामना करते हुए सफलता की ओर बढ़ रहे हैं।

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