Rajasthan: दलित एक्शन कमेटी ने शहीद बीरबल की प्रतिमा को चमकाया

Birbal Statue, Birbal Statue washed in Sirganganagar
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SriGanganagar: दलित एक्शन कमेटी (Dalit Action Committee) के सदस्यों ने रविवार को शहीद बीरबल चौक पर सफाई श्रमदान किया। सदस्यों ने चौक की सफाई की, पौधों और ग्रिल को साफ किया। इसके बाद उन्होंने शहीद बीरबल की प्रतिमा को धोया और नारियल के तेल से चमकाया। फिर उन्होंने पूरे चौक की सफाई की और आस-पास के लोगों को इसे साफ रखने के लिए जागरूक किया। तो चलिए इस लेख में आपको पूरा मामले के बारे में बताते है।

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आसपास के क्षेत्र को साफ रखें

इस सफाई अभियान में दलित एक्शन कमेटी के कई सदस्यों ने हिस्सा लिया। उन्होंने शहीद बीरबल के बलिदान को याद किया और समाज में स्वच्छता के महत्व पर जोर दिया। सदस्यों ने कहा कि शहीद बीरबल ने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया और हमें भी उनके आदर्शों पर चलना चाहिए।

समिति के सदस्यों ने लोगों से अपने आस-पास साफ-सफाई रखने और सफाई के प्रति जागरूक रहने की अपील की। ​​उन्होंने कहा कि सफाई केवल सरकार या सफाई कर्मचारियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हम सबकी जिम्मेदारी है। वही दलित एक्शन कमेटी का यह सफाई अभियान समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम था। इस अभियान ने लोगों को यह संदेश दिया कि स्वच्छता हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमें इसे बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

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कौन है शहीद बीरबल?

बीरबल सिंह ढालिया, जिन्हें अमर शहीद बीरबल सिंह के नाम से भी जाना जाता है, एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। वे राजस्थान के गंगानगर जिले के रायसिंहनगर के निवासी थे। वे बीकानेर प्रजा परिषद के सक्रिय सदस्य थे और सामंती अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते थे। 30 जून 1946 को रायसिंहनगर में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा एक बड़ा जुलूस निकाला गया, जिसमें बीरबल सिंह भी शामिल थे। 1 जुलाई 1946 को पुलिस की गोलीबारी में बीरबल सिंह की मृत्यु हो गई। उनका यह बलिदान राजस्थान के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है।

शहीद बीरबल चौक

बीरबल सिंह की याद में श्री गंगानगर के मुख्य चौराहे पर बीरबल सिंह ढालिया की एक प्रतिमा स्थापित की गई और चौराहे का नाम “शहीद बीरबल चौक” रखा गया।  उन्हें आज भी उनकी वीरता और देशभक्ति के लिए याद किया जाता है। यह बीकानेर रियासत में प्रथम जीनगर समाज के शहीद हैं।

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