Uttar Pardesh: सहारनपुर में दलित समाज का थाने पर प्रदर्शन, छेड़छाड़ के आरोपियों पर कार्रवाई की मांग

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Saharanpur news: बीते दिन उत्तरप्रदेश के सहारनपुर से चौकाने वाली खबर सामने आई है जहाँ दलित समाज के लोगों ने थाने का घेराव किया। उनका आरोप है कि बंजारा समाज के लोगों ने एक दलित युवती के साथ छेड़छाड़ की और पुलिस इस मामले में कार्रवाई नहीं कर रही है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।

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दलित समाज में आक्रोश

बीते दिन बिहारीगढ़ थाना क्षेत्र के गांव टान्डा मानसिंह में युवती से छेड़छाड़ और आरोपी से मारपीट के प्रकरण में अनुसूचित जाति और बंजारा समाज के लोगों के बीच चल रहा विवाद तूल पकड़ रहा है। रविवार को अनुसूचित समाज के लोगों ने भीम आर्मी कार्यकर्ताओं के साथ विरोध जुलूस निकालकर थाने पर हंगामा किया। आपको बता दें, प्रदर्शन का नेतृत्व भीम आर्मी के सागर रावण और सनी गौतम ने किया।

दरअसल दलित समाज के लोगों का आरोप है कि बंजारा समाज के लोगों ने एक दलित की पिटाई की। उनका यह भी आरोप है कि पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। दलित समाज के लोगों ने मंदिरों का बहिष्कार कर प्रदर्शन किया और गरीबों के हक की मांग की। पुलिस ने मामले की जांच की सलाह दी और अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने का प्रयास किया। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और स्थानीय युवा भी शामिल थे। संगठन के प्रभारी पर्यवेक्षक जावेद खान ने ब्लॉक प्रमुख को एकजुट करते हुए बताया कि मामले की जांच बेहट से की जा रही है और वे अपनी आगे की कार्रवाई करेंगे।

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दलित समाज में बदलाव

दलित समाज में बदलाव एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है। सदियों से चले आ रहे सामाजिक भेदभाव और असमानता के बावजूद, दलित समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को विभिन्न क्षेत्रों में देखा जा सकता है…शिक्षा के क्षेत्र में दलितों की भागीदारी में वृद्धि हुई है। लेकिन आज भी दलित समाज कि महिलाये सुरक्षित नहीं है उन्हें अक्सर समाज में भेदभाव का समाना करना पड़ता है। हर दिन कोई न कोई बलत्कार, रेप हिंसा जैसे मामले से जूझ रहा है। वही सरकार और गैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों से, भी दलित समाज सुरक्षित नहीं हैं।

कानूनी रूप से, दलितों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं। अत्याचार निवारण अधिनियम और अन्य कानूनों ने दलितों को न्याय दिलाने में मदद की है। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं। सामाजिक भेदभाव, आर्थिक असमानता और राजनीतिक हाशिए पर होना अभी भी दलितों के लिए बड़ी समस्याएं हैं। जातिगत भेदभाव अभी भी बना हुआ है।

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