Dalit Atrocities: संविधान दिवस के मौके पर भी मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के एक गांव में स्थित राम मंदिर में दलित दूल्हे को प्रवेश नहीं करने दिया गया। बताया जा रहा है कि दूल्हा अपनी बारात लेकर मंदिर जाना चाहता था, लेकिन राजपूत समुदाय के लोगों ने उसे रोक दिया और मंदिर पर ताला लगा दिया। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
हाल ही में मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के एक गांव से हैरान कर देने वाली खबर आई है जहां सोमवार को बेटमा सांघवी गांव के राम मंदिर में जमकर विवाद हुआ और यह विवाद करीब दो घंटे तक चला। इस दौरान राजपूत समाज के लोगों ने मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया और दूल्हे को मंदिर में प्रवेश करने से मना कर दिया, जिसके चलते दोनों पक्षों के बीच जमकर हंगामा हुआ। जिसके बाद मौके पर पहुची पुलिस ने लोगों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन भीड़ नहीं मानी।
इसके बाद बलाई समुदाय से जुड़े पीड़ित परिवार ने दरगाह जाकर बाबा के पैर छुए और अपना जुलूस आगे बढ़ाया। इस दौरान इन लोगों ने चेतावनी दी कि अगर उन्हें मंदिर में दर्शन नहीं करने दिए गए तो वे इसी तरह दरगाह जाएंगे और अपनी परंपरा को आगे बढ़ाएंगे।
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मंदिर में रोकने की बात गलत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस पूरे मामले पर ग्रामीण एएसपी रूपेश द्विवेदी ने कहा, ”सोशल मीडिया पर एक अफवाह फैलाई जा रही है कि बेटमा थाना क्षेत्र के सांघवी गांव में एक दलित दूल्हे को मंदिर में प्रवेश करने से रोका गया, जो भ्रामक है। दूल्हे और उसके परिवार ने मंदिर में जाकर प्रार्थना की। उसके बाद शांतिपूर्वक बारात निकाली गई।”
हालांकि इस पूरे मामले को लेकर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मंदिर में प्रवेश रोकने की बात गलत है। बारात मंदिर गई थी, लेकिन कुछ बाराती गर्भगृह में दर्शन करने जा रहे थे। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में विवाद हो गया। समुदाय के लोगों का आरोप है कि उनके साथ हमेशा भेदभाव किया जाता रहा है। फिलहाल पुलिस ने पूरे मामले को अपने नियंत्रण में ले लिया है।