Dalit issues, says Mahadevappa: बीते दिन बेंगलुरु (Bengaluru) में सीएम सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) के करीबी और समाज कल्याण मंत्री डॉ. एचसी महादेवप्पा ( Social Welfare minister Hc Mahadevappa) ने गुरुवार को कहा कि दलितों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने से “हमें कोई नहीं रोक सकता”। इस बयान के जरिए उन्होंने दलित समुदाय (Dalit Community) के मुद्दों पर अपनी सरकार की प्रतिबद्धता और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों को स्पष्ट किया। यह बयान ऐसे समय में आया जब दलितों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं और उनके अधिकारों की बात देशभर में हो रही है।
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दलितों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा
बीते कुछ दिन पहले कर्नाटक के ग्रह मंत्री परमेश्वर ने बुधवार को होने वाली एससी/एसटी ( SC/ST) मंत्रियों की रात्रिभोज बैठक को स्थगित कर दिया है।दरअसल, राजनीतिक अटकलें के मुताबिक बुधवार की रात्रिभोज बैठक स्थगित होने से कांग्रेस में एससी/एसटी मंत्री नाराज हो गए हैं। क्योकि इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मंत्रियों महादेवप्पा, सतीश जारकीहोली, परमेश्वर और केएन राजन्ना के साथ रात्रिभोज बैठक के बाद राजनीतिक अटकलें लगने के बाद आलाकमान को चिंता थी।
बुधवार को राजन्ना इतने परेशान हो गए कि उन्होंने पूछ लिया कि क्या कांग्रेस आलाकमान एससी/एसटी विरोधी है. महादेवप्पा ने कहा कि कांग्रेस ने 2023 विधान सभा चुनाव से पहले चित्रदुर्ग में एससी/एसटी ( SC/ST) सम्मेलन का आयोजन किया था।
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क्या कहा डॉ. एचसी महादेवप्पा ने ?
महादेवप्पा ने कहा, “इसके परिणामस्वरूप कांग्रेस ने 135-136 सीटें जीतीं। दलित कांग्रेस का आधार हैं। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि कोई भी (दलित मुद्दों पर चर्चा के) रास्ते में आएगा।” उन्होंने कहा, “हमें पूछना चाहिए कि सुरजेवाला ने (बुधवार की) बैठक क्यों स्थगित कराई।” हालांकि, मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के भीतर कोई भ्रम नहीं है।
जिसके बाद महादेवप्पा ने कहाँ कि “दलित मुद्दों पर हमेशा चर्चा की जाएगी। हम उन पर चर्चा करते थे, हैं और करते रहेंगे। यह कहने वाला कौन है कि हमें दलित मुद्दों पर चर्चा नहीं करनी चाहिए? हमें कोई नहीं रोक सकता। जो कोई भी कहता है कि हमें नहीं करना चाहिए, हम उसकी बात नहीं सुनेंगे।”
महादेवप्पा का यह कहना महत्वपूर्ण है कि दलित मुद्दों पर चर्चा होना चाहिए, क्योंकि यह सामाजिक न्याय और समानता के लिए जरूरी है। दलित समुदाय के अधिकारों, समस्याओं और उनके प्रति हो रहे भेदभाव के खिलाफ खुलकर बात करना आवश्यक है। इससे समाज में जागरूकता बढ़ती है और बदलाव की संभावना भी होती है।