भारत के दलितों ने दलित राजनीति करने वाले तमाम नेताओं को देखा है…कुछ नेताओं ने सिर्फ वोट लेने के लिए दलितों का इस्तेमाल किया…कुछ नेताओं ने दलितों को झुनझुना थमा दिया…कुछ नेताओं ने सच में दलितों की स्थिति सुधारने की कोशिश की लेकिन समय के साथ वे भी शिथिल पड़ते गए…मायावती भी उन्हीं में से एक हैं. यह बात आपको बुरी लग सकती है लेकिन सच्चाई यही है कि आज के समय में दलितों के लिए मायावती की आवाज निकलनी बंद हो गई है. ऐसे में पिछले कुछ सालों से दलितों को एक ऐसे चेहरे की तलाश है, जो उनकी आवाज बन सके, जो उनके साथ खड़ा रह सके, जो उनकी परेशानियों को संसद में उठा सके, सरकार से आंख से आंख मिलाकर दलित हित की बात कर सके…ये सारी बातें भाई चंद्रशेखर में कूट कूट कर भरी हुई है
चन्द्रशेखर आज़ाद पर हमला
दरअसल, पिछले साल 28 जून की शाम को चन्द्रशेखर आज़ाद पर हमला हुआ था। आज़ाद पर उस समय हमला हुआ जब वह अपनी कार से दिल्ली से सहारनपुर की ओर जा रहे थे। उन्हें देवबंद जाना था। यहां वह अपने एक सहकर्मी से मिलने जा रहे थे। इसी दौरान कुछ अज्ञात हमलावर आये और उन्होंने चन्द्रशेखर की कार को निशाना बनाते हुए फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में चन्द्रशेखर की कार का शीशा टूट गया। हालांकि इस हमले में चन्द्रशेखर बाल-बाल बच गये। गोली उन्हें छूते हुए निकल गयी थी। इसके बाद उन्हें एक निजी अस्पताल लाया गया और 29 जून को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। खबरों की मानें तो पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को हिरासत में लिया।
दलित नेता आजाद पर जानलेवा हमला करने वाले चारों आरोपी ऊंची जाति के राजपूत समुदाय से थे। अपनी जांच में पुलिस ने पाया कि आज़ाद पर हमला करने वालों में से तीन का आपराधिक रिकॉर्ड था, जिसमें हत्या का प्रयास, हमला और धमकी के आरोप शामिल थे। फिलहाल वह जमानत पर जेल से बाहर हैं। ये तीनों लोग उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के रणखंडी के रहने वाले हैं, जिनके नाम हैं- विकास उर्फ विक्की, प्रशांत और लविश उर्फ अभिषेक। चौथा आरोपी हरियाणा के करनाल जिले का रहने वाला टैक्सी ड्राइवर है, उसका नाम भी विकास है।
आज़ाद पर हमला क्यों हुआ, यह एक बड़ा सवाल है…इस मामले में हरियाणा पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि “हरियाणा में पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच के दौरान, आरोपियों ने कहा कि वे पिछले कुछ वर्षों के दौरान अपने सामुदायिक कार्यक्रमों के खिलाफ भीम आर्मी की गतिविधियों के कारण परेशान थे।” आरोपियों ने कहा कि वे सोशल मीडिया पर आजाद के बयानों से भी परेशान थे।
हालांकि, न्यूज 24 को दिए अपने इंटरव्यू में भाई चंद्रशेखर ने दावा किया था कि उन पर ये हमला योगी जी ने करवाया है। क्योंकि जब उन पर हमला हुआ तो योगी सरकार ने कोई बयान नहीं दिया और न ही मामले की जांच की। साथ ही जब आरोपियों को गिरफ्तार किया गया तो उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट देकर छोड़ दिया गया। यह घटना उनके साथ सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि राजनीति में उनका रुतबा बढ़ता जा रहा है और सरकार उनके बढ़ते राजनीतिक प्रभाव को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.
बीजेपी सरकार पर आरोप
इसके अलावा अगर हम भाई चंद्रशेखर को जहर दिए जाने की बात करें तो यह घटना साल 2017 की है. 2017 में सहारनपुर में हुई हिंसा के बाद चंद्रशेखर आजाद पर NSA लगाया गया था और उन्हें जेल भेज दिया गया था. न्यूज 24 को दिए इंटरव्यू में आजाद ने इस घटना को याद करते हुए बताया कि जब वह जेल में थे तो उनकी जान लेने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा कि जब वह सहारनपुर जेल में थे तो उन्हें जहर देने की कोशिश की गई थी। जिसके बाद उन्हें 8 दिनों तक मरेठ के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उस वक्त प्रियंका गांधी भी उनसे मिलने पहुंची थीं. उन्होंने पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ पर जहर देने का आरोप लगाया था.
अगर हम मौजूदा समय की बात करें तो भाई चंद्रशेखर एक ऐसे दलित नेता के रुप में खुद को स्थापित कर चुके हैं, जो देश के हर दलित और वंचित लोगों के साथ खड़ा है. पिछले कुछ वर्षों में जहां भी दलित अत्य़ाचार हुए हैं, चंद्रशेखर आजाद या उनकी टीम वहां पहुंची है. यही कारण है कि आज वह दलितों के दिलों में अपनी जगह बनाने में कामयाब साबित हुए हैं. सरकार की ओर से उन्हें Y+ कैटेगरी की सुरक्षा भी प्रदान की गई है. लोकसभा चुनाव 2024 में वह दलित और मुस्लिम बहुल सीट नगीना से ताल ठोक रहे हैं. स्थानीय दलित और वंचित समाज उन पर कितना भरोसा जता पाता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई है.