मान्यवर कांशीराम जी ने एक लडकी को देखा जो ‘हरिजन’ शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जता रही थी, उस समय कांशीराम जी ने उस लडकी में जाने ऐसा क्या देख लिया, जो उसे आगे चलकर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया… जो आगे चलकर कांशीराम जी के लिए अपने परिवार से भी जरूरी हो गई, जिसने आगे चलकर बहुजन समाज के लिए जमकर काम किया…जी हाँ… हम बहन मायावती की ही बात कर रहे है. लेकिन इन दोनों महानुभावों से जुड़ा एक किस्सा भी है, जिसके बारे में आपको जानना चाहिए.
जब मायावती पर आरोप लगे थे
जब कांशीराम जी और मायावती की पहली मुलाकात हुई, उस समय मायावती आईएएस की तैयारी कर रही थीं. उनके ओजस्वी भाषण से कांशीराम जी इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने मायावती को संगठन में शामिल होने का प्रस्ताव दे दिया. तब अपने पिताजी के मना करने के बावजूद मायावती और कांशीराम एक साथ आए. 1977 में कांशीराम से मिलने के बाद मायावती ने पूर्णकालिक राजनीति में आने का निश्चय कर लिया था.कांशीराम के नेतृत्व के अंतर्गत वह उनकी कोर टीम का हिस्सा रहीं. 1984 में बसपा की स्थापना हुई और 1989 में मायावती पहली बार सांसद बनीं. धीरे धीरे पार्टी में मायावती की पकड़ मजबूत होती रही.
मान्यवर कांशीराम जी की छत्रछाया में उन्होंने पार्टी के विस्तार के लिए कई बड़े फैसले लिए. 15 दिसंबर 2001को लखनऊ में रैली को संबोधित करते हुए कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी बताया. इसके बाद 18 सितंबर 2003 को उन्हें बसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. 2006 में कांशीराम जी का निधन हो गया. बसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद मायावती पर कई तरह के आरोप लगने शुरु हो गए थे. उनपर कांशीराम को उनके परिवार से नहीं मिलने देने के आरोप भी लगे थे.
ध्यान देने वाली बात है कि मई 2005 में वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने मायावती से पूछा था कि आप पर कांशीराम को उनके परिवार से से नहीं मिलने देने के आरोप लगे हैं, ऐसे क्या कारण रहे कि आप उन्हें उनके परिवार से नहीं मिलने देती. इस प्रश्न का जवाब देते हुए मायावती ने कहा था कि कांशीराम जी के परिवार को विरोधी पार्टियों द्वारा लालच दिया गया, साथ ही कुछ पैसे का भी लालच दिया गया. जिसके बाद कांशीराम के परिवार ने भी कांशीराम के यहां रुकने का विरोध किया. वह तो कोर्ट तक पहुंचे लेकिन बहुजन समाज मेरे साथ खड़ा रहा.
उन्होंने आगे कहा था कि मैं कांशीराम जी का परिवार से अधिक ध्यान रखती हूं. सब कहते हैं कि एक बेटा भी इतना ध्यान नहीं रख सकता. वह बताती हैं कि AIIMS से डॉक्टर्स की एक टीम आई थी और उन्होंने कहा कि जो दवाई कांशीराम को दी जा रही है वो बिल्कुल ठीक है.
फिर पत्रकार महोदय पूछते हैं कि आप कांशीराम को छुपाकर क्यों रखती हैं ? किसी को आप उनसे मिलने क्यों नहीं देती? इस पर मायावती ने कहा था कि मैं उन्हें छिपाकर क्या रखूंगी. अब पता नहीं कोई व्यक्ति किस शरारत के तह यहां गया. मुझे जेड+ सिक्योरिटी मिली है. अब पता नहीं विरोधी पार्टी के लोग किसी षड्यंत्र के तहत किसी असामाजिक तत्व को मेरे घर पर भेज दें और ऐसी कोई चीज रख दें कि मेरा घर ही उड़ जाए. मैं और कांशीराम जी भी उड़ जाएं. तो ऐसे में मैं किसी भी व्यक्ति को उनसे नहीं मिलने दे सकती हूं.
बकौल मायावती, कांशीराम जी ने खुद कहा था कि मेरे घर वाले बिल्कुल गलत कर रहे हैं. वह स्वार्थी लोग हैं. मायावती जो कर रही हैं, वो बिल्कुल सही कर रही हैं.
हालांकि, कई मीडिया रिपोर्ट्स में कांशीराम जी की मौत के लिए मायावती को जिम्मेदार ठहराया गया लेकिन मायावती के वक्तव्यों से ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता. मायावती, कांशीराम को पिता सम्मान प्यार करती थीं, इज्जत देती थीं. उनका ध्यान रखती थीं. कांशीराम जी ने खुद मायावती के काबिलियत