Haryana: मानसिक दबाव के कारण दलित छात्रा ने की आत्महत्या, नहीं भर पाई थी कॉलेज फीस

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Dalit Student Suicide Haryana: हाल ही में भिवानी जिले के लोहारू कस्बे के एक निजी कॉलेज में एक अनुसूचित जाति की छात्रा द्वारा आत्महत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया है। परिजनों के मुताबिक, छात्रा ने कॉलेज मैनेजमेंट द्वारा फीस ना देने पर मानसिक रूप से परेशान होकर सुसाइड किया है। यह घटना एक बहुत ही दुखद और गंभीर स्थिति को दर्शाती है।

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मानसिक दबाव के कारण आत्महत्या

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक दलित छात्रा को अपनी फीस न चुका पाने के कारण कॉलेज प्रशासन ने परीक्षा देने से रोक दिया। इससे वह बेहद निराश हो गई और मानसिक दबाव के कारण उसने आत्महत्या कर ली। दरअसल, यह पूरा मामला 24 दिसंबर की रात का है, जब हरियाणा,  भिवानी जिले के फरटिया गांव में एक अनुसूचित (दलित) जाति की लड़की दीक्षा ने अपने घर फांसी लगा ली.  मृतका लड़की पड़ोस के सिंघानी गांव के निजी कॉलेज में बीए फ़ाइनल इयर की छात्रा थी. पीड़ित परिजनों का आरोप है कि मृतक दीक्षा को कॉलेज की फीस समय पर ना देने पर प्रताड़ित किया जाता है. उसे 6 दिसंबर को पहला पेपर भी नहीं देने दिया गया, जिस कारण वह मानसिक दवाव में आ गई और उसने आत्महत्या कर ली।

वही पुलिस को पीड़ित पिता ने बताया  24 दिसंबर की रात को दीक्षा के पास रात 9 बजे कॉलेज मैनेजमेंट के हेड हनुमान के बेटे राहुल का फोन आया था. उसके बाद दीक्षा ने जान दी। बता दें कि हनुमान विधायक राजबीर फरटिया का साला है और राहुल साले का लड़का है। जिसके बाद 27 दिसंबर को शिकायत दर्ज हुयी लेकिन एफआईआर के दो-तीन दिन बाद भी आरोपियों की गिरफ़्तारी नहीं होने पर परिजन व समाज के लोग भड़क गए हैं।  उन्होंने पुलिस को तीन दिन के अंदर आरोपियों को गिरफ्तार करने का अल्टिमेटम दे दिया है। वही इलाके की पुलिस का कहना है कि मामले की पूरी तरह से जांच चल री हैं जल्द से जल्द आरोपी को पकड़ा जायेगा ।

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यह घटना कई सामाजिक और शैक्षिक मुद्दों को सामने लाती है

  • शिक्षा में असमानता: इस तरह की घटनाएँ शिक्षा व्यवस्था में असमानता और आर्थिक कारणों से हो रही असमानता को उजागर करती हैं। अगर कोई छात्र फीस न चुका सके तो उसे शिक्षा से वंचित कर दिया जाता है, जो कि न केवल उसकी व्यक्तिगत उपलब्धियों पर असर डालता है बल्कि उसके भविष्य को भी प्रभावित करता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य: मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरूकता की कमी और दबावों का सामना करने के लिए समर्थन की कमी कई बार मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को नुकसान पहुँचा सकती है।
  • दलित समुदाय के खिलाफ भेदभाव: दलित छात्राओं के लिए यह घटना एक और उदाहरण हो सकती है कि कैसे समाज में भेदभाव और असमानता के कारण उन्हें अतिरिक्त समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे शिक्षा के अधिकार से वंचित होना।

ऐसी घटनाएँ इस बात की ओर इशारा करती हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में समानता और मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। समाज और सरकार को ऐसे मुद्दों को सुलझाने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है

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