Delhi: महरौली में दलित के शव को जलाने से रोका, जातिगत भेदभाव का आरोप

Mehrauli news, Caste Discrimination
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Mehrauli news: हाल ही में उत्तर प्रदेश के दिल्ली के महरौली के शमशान घाट से मानवता को शर्मशार करने वाली खबर सामने आई है। जहाँ एक वाल्मीकि समाज के व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने से रोका गया। इस घटना के पीछे जातिगत भेदभाव को कारण बताया जा रहा है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।

जानें क्या है पूरा मामला?

देश में दलितों पर अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन देश के किसी न किसी कोने से कोई न कोई खबर आती ही रहती है। कभी दलितों को साथ बैठने नहीं दिया जाता, कभी साथ खाना खाने नहीं दिया जाता, कभी साथ पढ़ने नहीं दिया जाता। जी हां, ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है जहां महरौली के श्मशान घाट पर ऊंची जाति के लोगों ने दलित समुदाय के लोगों को अंतिम संस्कार करने से रोक दिया।

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक विडियो काफी वायरल हो रहा है जिसमे कुछ वाल्मीकि समुदाय के लोग विरोध प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे है दरअसल, यहाँ एक व्यक्ति को अंतिम संस्कार करने से रोका दिया गया दरअसल, मृतक वाल्मीकि समुदाय से थे, जिन्हें कथित तौर पर ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार करने से रोका था। इस घटना के बाद वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। वही अब इस घटना के बाद पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। बता दें, इस घटना से इलाके में सामाजिक तनाव बढ़ गया है।

 

दलित समाज के साथ अत्याचार क्यों?

दलित समाज पर अत्याचार के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं। भारत में सदियों से चली आ रही जाति व्यवस्था दलितों के साथ भेदभाव और अत्याचार का मुख्य कारण है। इस व्यवस्था में दलितों को सबसे निचला दर्जा दिया गया है, जिसके कारण वे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर हैं। जातिगत पूर्वाग्रह और भेदभाव के कारण दलित अक्सर शिक्षा, रोजगार और अन्य अवसरों से वंचित रह जाते हैं।

आपको बता दें, दलितों पर अत्याचार रोकने के लिए जाति व्यवस्था को खत्म करना, सामाजिक भेदभाव को दूर करना, आर्थिक असमानता को कम करना और कानूनी व प्रशासनिक कमियों को दूर करना जरूरी है। इसके साथ ही समाज में जागरूकता फैलाना और लोगों की मानसिकता बदलना भी जरूरी है।

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